जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: कांग्रेस-नेकां गठबंधन से बीजेपी को मिलेगा फायदा या नुकसान?
जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) का गठबंधन बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन सकता है। यह गठबंधन क्षेत्रीय राजनीति में एक नया समीकरण पैदा कर सकता है। लोकसभा चुनावों में, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 34 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था, जबकि कांग्रेस ने 7 सीटों पर बढ़त बनाई थी। इन दोनों पार्टियों का गठबंधन कुल मिलाकर 41 सीटों पर जीत की उम्मीद कर सकता है। हालांकि, इनमें से कुछ सीटें हिंदू बहुल क्षेत्र की हैं, जहां बीजेपी का प्रभाव मजबूत है।गठबंधन का यह आंकड़ा बीजेपी के लिए एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि कांग्रेस और नेकां का साथ आने से वे मिलकर बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष बना सकते हैं। इसके अलावा, अगर इस गठबंधन में अन्य दल भी शामिल होते हैं, जैसे कि पीडीपी और इंजीनियर राशिद की पार्टी, तो यह गठबंधन और भी मजबूत हो सकता है। इन दलों की चुनावी संभावनाओं को देखते हुए, अगर वे भी गठबंधन में शामिल होते हैं, तो यह बीजेपी के लिए और भी कठिनाई पैदा कर सकता है।
बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में अपनी रणनीति को लेकर कई कदम उठाए हैं। पार्टी का मुख्य ध्यान जम्मू क्षेत्र की 43 सीटों पर है, जिसमें से 30 सीटें हिंदू बहुल हैं। लोकसभा चुनावों में, बीजेपी ने इनमें से 29 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके अलावा, पार्टी ने राजौरी क्षेत्र की सात सीटों पर भी नजरें गड़ा रखी हैं।कश्मीर घाटी में बीजेपी ने अपनी रणनीति को लेकर एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है। पार्टी ने कश्मीर घाटी में केवल 25 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का मन बनाया है, जबकि बाकी 22 सीटों पर निर्दलीयों और स्थानीय पार्टियों के उम्मीदवारों को समर्थन देने का विचार है। इसके साथ ही, बीजेपी कश्मीरी पंडितों को टिकट देने पर भी विचार कर रही है, ताकि वे अपने समुदाय के वोट को आकर्षित कर सकें।
बीजेपी ने पीर पंजाल क्षेत्र में भी अपनी स्थिति मजबूत की है, और हाल ही में जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के सदस्य चौधरी जुल्फिकार अली ने बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की है। यह बीजेपी के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में पार्टी की ताकत बढ़ सकती है।कांग्रेस और नेकां के गठबंधन से बीजेपी को कई मोर्चों पर चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस और नेकां की साझेदारी से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय मुद्दों पर उनकी एकता और मजबूत हो सकती है। विशेषकर, जम्मू क्षेत्र में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस-नेकां गठबंधन की प्रगति बीजेपी के लिए चिंताजनक हो सकती है।दूसरी ओर, बीजेपी के पास एक मजबूत चुनावी रणनीति है। पार्टी ने कश्मीरी पंडितों, विस्थापित समुदायों और अन्य महत्वपूर्ण वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए अपनी योजना बनाई है। इसके अलावा, बीजेपी ने उपराज्यपाल कोटे से मिलने वाली सीटों और संभावित पोस्ट-पोल एलायंस की तैयारी भी की है, जो चुनाव के बाद सरकार बनाने में मदद कर सकते हैं।
बीजेपी की रणनीति में कुछ मुख्य बिंदु शामिल हैं। पहला, हिंदू बहुल सीटों पर ध्यान। बीजेपी ने विशेष रूप से हिंदू बहुल सीटों पर जीतने का लक्ष्य तय किया है। कांग्रेस और नेकां के गठबंधन से ये सीटें सीधे प्रभावित हो सकती हैं, और बीजेपी को इन सीटों को बचाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ सकते हैं। दूसरा, कश्मीरी पंडितों का समर्थन। बीजेपी कश्मीरी पंडितों को उम्मीदवार बना कर और उन्हें मतदान के लिए प्रोत्साहित कर के घाटी में अपने आधार को मजबूत कर सकती है। तीसरा, वोट बैंक की रणनीति। बीजेपी ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से आए विस्थापित समुदाय के सदस्यों को विधायक के रूप में नामित करने की योजना बनाई है। इससे बीजेपी को संभावित वोट मिल सकते हैं। चौथा, पोस्ट-पोल एलायंस। बीजेपी चुनाव के बाद संभावित गठबंधनों की योजना बना रही है। इसके लिए पार्टी ने राममाधव जैसे नेताओं को जिम्मेदारी दी है, जो विभिन्न दलों के साथ संभावित गठबंधनों की बातचीत कर सकते हैं।कांग्रेस-नेकां गठबंधन निश्चित रूप से बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश कर सकता है। यह गठबंधन बीजेपी की रणनीति और चुनावी गणित को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, बीजेपी के पास भी एक मजबूत योजना और रणनीति है, जो उसे चुनावी परिदृश्य में बने रहने में मदद कर सकती है। चुनाव के परिणाम और बाद के गठबंधन की स्थिति यह तय करेगी कि बीजेपी को कितना फायदा या नुकसान होगा।
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