जम्मू-कश्मीर की नई सरकार और LG के बीच टकराव: क्या कश्मीर भी दिल्ली जैसी स्थिति का सामना करेगा?



जम्मू-कश्मीर की नई सरकार और LG के बीच टकराव: क्या कश्मीर भी दिल्ली जैसी स्थिति का सामना करेगा?

नई दिल्ली, 23 अगस्त 2024: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू हो गई है। पिछले साल 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद चुनावी प्रक्रिया में तेजी आई थी, जिसमें कोर्ट ने आदेश दिया था कि 30 सितंबर, 2024 से पहले चुनाव कराए जाएं। अब चुनाव की तारीखें घोषित हो गई हैं, जिनके अनुसार मतदान तीन चरणों में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और आशंकाएँ

चुनाव के ऐलान के बाद, राजनीतिक दलों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। जहां कुछ दल इस कदम को स्वागत योग्य मान रहे हैं, वहीं कई विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक इसे पूरी तरह दुरुस्त नहीं मानते। दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर नवनीता सी. बेहेरा ने इस पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। उनका कहना है कि चुनाव केवल तब तक 'दुरुस्त' होगा जब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस नहीं मिल जाता।

उपराज्यपाल की बढ़ती शक्तियाँ

12 जुलाई 2024 को जारी भारत सरकार के नोटिफिकेशन ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक शक्तियाँ सौंप दी हैं। इन नए अधिकारों में पुलिस और सिविल सेवा अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले, सार्वजनिक व्यवस्था, और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने के अधिकार शामिल हैं। इसके अलावा, मंत्री परिषद की बैठकों के एजेंडों की मंजूरी भी उपराज्यपाल को ही प्राप्त होगी।प्रोफेसर बेहेरा का कहना है कि इन शक्तियों के साथ, उपराज्यपाल की स्थिति जम्मू-कश्मीर में किसी भी चुनी हुई सरकार के लिए बाधक हो सकती है। उनका मानना है कि जम्मू-कश्मीर के एलजी की शक्तियाँ दिल्ली के उपराज्यपाल से भी ज्यादा हैं, जो कहीं न कहीं संविधान के प्रति असंगत प्रतीत होती हैं।

भविष्य की राह: संभावनाएँ और आशंकाएँ

भविष्य में, चुनाव के बाद एक नई सरकार के गठन और उसके अधिकारों के बारे में स्पष्टता का अभाव रहेगा। यह देखने योग्य होगा कि नई सरकार उपराज्यपाल द्वारा निर्धारित शक्तियों के तहत कैसे काम करती है। विशेष रूप से, जम्मू और कश्मीर के नेताओं और राजनीतिक दलों के लिए यह नई व्यवस्था कैसे काम करती है, इस पर ध्यान केंद्रित होगा। इसके अलावा, प्रोफेसर बेहेरा ने भविष्यवाणी की है कि चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सत्ता संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, विशेष रूप से अगर सरकार में क्षेत्रीय दलों का नियंत्रण होता है।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया में तेजी आई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि चुनाव के बाद की स्थिति कितनी स्थिर होगी। उपराज्यपाल को मिली नई शक्तियाँ और मुख्यमंत्री की संभावित भूमिका के बीच संतुलन बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है। चुनावी परिणाम और उसके बाद की राजनीति पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी, यह देखना रोचक होगा कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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