पहले नौकरी पर संकट, अब बैंक भी वसूलेगा लोन का पैसा यूपी के 69,000 शिक्षकों पर दोहरी मार
उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती मामले में योगी आदित्यनाथ की सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह नई मेरिट लिस्ट जारी करे, जिसके बाद शिक्षकों के बीच अनिश्चितता और बढ़ गई है। कई शिक्षक इस फैसले के बाद अपनी नौकरी को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि उनकी स्थिति क्या होगी।
इस बीच, बैंकों ने भी शिक्षकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद, बैंक ओडी लिमिट और लोन पर रोक लगाने लगे हैं और वसूली के लिए दबाव बना रहे हैं। शिक्षकों को बैंकों ने यह चेतावनी दी है कि यदि वे लोन के लिए बैंक से संपर्क करते हैं, तो उन्हें लोन प्रदान नहीं किया जाएगा। बांदा में स्थित कोऑपरेटिव बैंक ने शिक्षकों से लोन की वसूली के आदेश जारी कर दिए हैं और कहा है कि जब तक मामला कोर्ट में हल नहीं होता, तब तक कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
कोऑपरेटिव बैंक के सचिव, जगदीश चंद्रा ने सभी शाखाओं को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। उनके अनुसार, जब तक कोर्ट के आदेश की स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक किसी भी प्रकार का लोन भुगतान नहीं किया जाएगा। इस भर्ती की प्रक्रिया लगभग छह साल से विवादों में रही है। नई मेरिट लिस्ट के आदेश के बाद, सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारी इस पर मंथन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में निर्देश दिया था कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि उनकी नियुक्ति में जनरल कोटे के अभ्यर्थियों को तरजीह दी गई है, जिससे विवाद और कोर्ट की लड़ाई का कारण बना। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की ओर जाए बिना इन शिक्षकों की नौकरी कैसे बचाती है, क्योंकि कोर्ट के आदेश के बाद बड़ी संख्या में सामान्य वर्ग के शिक्षकों को नौकरी जाने का डर सता रहा है।
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