महाराष्ट्र बंद वापस, बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे का ऐलान

 

महाराष्ट्र बंद वापस, बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे का ऐलान

बदलापुर कांड के खिलाफ बुलाए गए महाराष्ट्र बंद को शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट ने वापस ले लिया है। शुक्रवार को उद्धव ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि बॉम्बे हाईकोर्ट के हालिया आदेश के सम्मान में वे बंद को समाप्त कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी बदलापुर कांड के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर दो घंटे तक विरोध प्रदर्शन करेगी। शनिवार को सुबह 11 बजे से शिवसेना कार्यकर्ता काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन करेंगे।उद्धव ठाकरे ने कहा कि हर पार्टी का आंदोलन का अधिकार होता है, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने बंद को गैरकानूनी करार दिया है। उनका मानना है कि अदालत का आदेश मानना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जबकि सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प मौजूद था, समय की कमी के कारण उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करने का निर्णय लिया है।

इससे पहले, एनसीपी (एसपी) के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से अपील की थी कि वे बंद को वापस लें। कांग्रेस ने भी बंद का समर्थन करने से इंकार कर दिया था। इन अपीलों के बाद उद्धव ठाकरे ने बंद को वापस लेने की घोषणा की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उनकी पार्टी दोषियों को सजा दिलाने के लिए आंदोलन जारी रखेगी।उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि वे शनिवार को विभिन्न गांवों और शहरों के मुख्य चौराहों पर मुंह पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने अदालत के आदेश का सम्मान करने की बात की, लेकिन साथ ही सवाल उठाया कि क्या देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी लगाई जा सकती है। ठाकरे ने संवैधानिक विशेषज्ञों से इस मुद्दे पर विचार करने का अनुरोध किया।

ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन और प्रदर्शन जारी रहेगा, चाहे कोर्ट के आदेश के बावजूद। उन्होंने कहा कि अगर किसी को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है, तो लोग सड़कों पर उतर आते हैं, जैसे बांग्लादेश में हुआ था। उन्होंने यह भी बताया कि वे खुद शिवसेना भवन के चौराहे पर बैठकर विरोध करेंगे और किसी को उन्हें रोकने का अधिकार नहीं होगा।उन्होंने कहा कि अदालत ने यह उल्लेख किया कि कानून के रखवालों द्वारा गैर-जिम्मेदाराना तरीके से काम किया गया। कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि क्या लोगों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अधिकार है या नहीं। उन्होंने बताया कि बंद का मतलब हिंसा और पथराव नहीं होना चाहिए और यह चिंता का विषय है कि ऐसा हुआ। उन्होंने सभी से अपील की कि वे अपने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस आंदोलन में शामिल हों।

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