ममता बनर्जी का असंतुलित बयान: क्यों ममता ने देश में आग लगाने की धमकी दी?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारतीय राजनीति के तेजतर्रार चेहरों में गिनी जाती हैं। अपने नेतृत्व के बल पर उन्होंने पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के तीन दशकों के शासन को समाप्त कर दिया और पिछले 13 वर्षों से बिना किसी सहयोगी दल के अकेले राज्य की बागडोर संभाल रखी है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के मोदी-शाह युग का मुकाबला करने में वह अकेली नेता हैं जिन्होंने लगातार भाजपा को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हराया है। लेकिन हालिया घटनाक्रम यह संकेत दे रहे हैं कि उनका आत्मविश्वास अब डोल रहा है और वे एक महत्वपूर्ण संकट का सामना कर रही हैं।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज में उथल-पुथल
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ घटित हुए घटनाक्रम ने ममता बनर्जी की सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती उत्पन्न कर दी है। एक युवती के साथ बलात्कार की घटना ने राज्य में भारी हंगामा खड़ा कर दिया और कई सवाल उठाए हैं। ममता बनर्जी ने इस घटना के बाद जिन टिप्पणियों का इज़हार किया, वे एक डरे हुए नेता की छवि को प्रकट करती हैं। टीएमसी के छात्र परिषद के स्थापना दिवस पर अपने भाषण में ममता ने कहा कि कुछ लोग यह मानते हैं कि बंगाल बांग्लादेश है, और यदि आग बंगाल में फैलेगी, तो यह आग असम, बिहार, मणिपुर और ओडिशा में भी पहुंचेगी, और अंततः दिल्ली को भी प्रभावित करेगी। इस बयान ने न केवल विवाद पैदा किया, बल्कि पड़ोसी राज्यों में नाराजगी भी उत्पन्न की है।
राजनीतिक दबाव और बौखलाहट
ममता बनर्जी के लिए यह पहली बार है जब विपक्ष इतना सक्रिय और प्रभावशाली हो गया है। उनके 13 साल के कार्यकाल में यह पहली बार है जब वे महसूस कर रही हैं कि चीजें उनके नियंत्रण से बाहर हो रही हैं। कोलकाता रेप केस का ठीक से सामना न कर पाने की वजह से उन्हें गहरा मलाल हो रहा है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष के साथ उनका बर्ताव और राज्य की पुलिस की नाकामी ने उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया है। अभिषेक बनर्जी की सलाह को नजरअंदाज करने का मलाल भी उनके अंदर है। अभिषेक ने संदीप घोष की तत्काल बर्खास्तगी की मांग की थी, लेकिन ममता ने पुलिस और डॉक्टर रेप केस को अपने तरीके से निपटाने की कोशिश की। अब, ममता बनर्जी बलात्कार के मामलों में मृत्युदंड सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा से एक कानून लाने की कसम खा रही हैं, और विरोध कर रहे डॉक्टरों से धमकी भरे अंदाज में काम पर लौटने का आग्रह कर रही हैं। यह सभी संकेत ममता के बौखलाहट और घबराहट के हैं।
राष्ट्रपति शासन की संभावनाएं
पश्चिम बंगाल में विपक्ष लगातार राष्ट्रपति शासन की वकालत कर रहा है। कांग्रेस पार्टी भी इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के खिलाफ है, और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी और ममता बनर्जी पर तीखे हमले किए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी इस घटना पर बयान आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि "अब बहुत हो गया"। राष्ट्रपति मुर्मू ने 'विमेंस सेफ्टी: एनफ इज एनफ' नामक लेख में महिला सुरक्षा की स्थिति पर चिंता जताई है। उनका यह बयान ममता सरकार के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
पार्टी में अविश्वास और असंतोष
कोलकाता रेप केस के बाद, ममता बनर्जी के पार्टी के भीतर असंतोष और अविश्वास बढ़ गया है। टीएमसी के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं ने उनके खिलाफ खुलकर बोलना शुरू कर दिया है। सुखेंदु शेखर राय और पूर्व सांसद शांतनु सेन ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर इस मुद्दे पर सवाल उठाए। ममता ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की, जिससे पार्टी में अंदरूनी घमासान बढ़ गया। सुखेंदु शेखर राय को पुलिस मुख्यालय में तलब किया गया और शांतनु सेन की पार्टी प्रवक्ता के पद से छुट्टी कर दी गई। पार्टी मुखपत्र 'जागो बांग्ला' ने महिलाओं के आंदोलन की निंदा की, जबकि इसके संपादक खुद धरने पर बैठे थे।
भतीजे अभिषेक बनर्जी की चुनौती
ममता बनर्जी के भतीजे और डायमंड हार्बर के सांसद अभिषेक बनर्जी ने भी कोलकाता रेप केस पर अपने बयानों से ममता सरकार को चुनौती दी है। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ मुठभेड़ की मांग की और ममता के विरोध मार्च में उनकी अनुपस्थिति ने भी कई सवाल खड़े किए हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि ममता को अपने परिवार और पार्टी के भीतर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
बीजेपी की नई रणनीति
भारतीय जनता पार्टी ने इस बार ममता बनर्जी को 'बंगाली बनाम बाहरी' का मौका नहीं दिया है। भाजपा ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है और गृहमंत्री अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की बजाय राज्य स्तरीय नेताओं शुभेंदु अधिकारी, सुकांत मजूमदार, लॉकेट चटर्जी और राज्यपाल बोस पर ध्यान केंद्रित किया है। भाजपा ने यह समझ लिया है कि बंगाली नेतृत्व को प्राथमिकता देने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। इस रणनीति ने ममता बनर्जी को 'मां-माटी-मानुष' की बात करने का मौका भी नहीं दिया है, और बीजेपी ने राज्य के भीतर स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।
ममता बनर्जी की स्थिति वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रही है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना, विपक्ष की राष्ट्रपति शासन की मांग, पार्टी में बढ़ते अविश्वास, और भाजपा की नई रणनीति ने उनकी स्थिति को कमजोर कर दिया है। ममता के आत्मविश्वास में कमी और राजनीतिक दबाव की वजह से उनकी भविष्यवाणी की दिशा बदल सकती है। बंगाल की राजनीति में आने वाले दिनों में और भी उथल-पुथल की संभावना है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि ममता बनर्जी इन चुनौतियों का सामना कैसे करती हैं।
0 टिप्पणियाँ