प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा: क्या वह रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति की उम्मीद जगाएंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी यात्रा, जो 23 अगस्त को विशेष ट्रेन से यूक्रेन के लिए शुरू होगी, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। यह यात्रा रूस से मोदी के 8 जुलाई को हुए दौरे के ठीक 45 दिन बाद हो रही है, और इसे युद्ध के मैदान पर शांति का संदेश देने के एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। पीएम मोदी ने पहले ही पोलैंड में यह संदेश दिया था कि युद्ध का युग समाप्त हो चुका है और शांति का समर्थन भारत का प्रमुख उद्देश्य है। अब वह इस संदेश को यूक्रेन में भी दोहराने वाले हैं।
शांति का संदेश: भारत की कूटनीतिक रणनीति
पीएम मोदी ने पोलैंड में यह स्पष्ट किया था कि भारत इस अशांत क्षेत्र में स्थायी शांति का समर्थक है और शांति पर जोर देना भारत की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है। उनका कहना है कि भारत कूटनीति और संवाद में विश्वास करता है, और शांति को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के संकट को कम करने में महत्वपूर्ण हो सकती है। इस संघर्ष ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को संकट में डाल दिया है, और पीएम मोदी की आशा है कि युद्ध समाप्त होने से विश्व अर्थव्यवस्था को राहत मिलेगी।
ग्लोबल साउथ पर युद्ध के प्रभाव
रूस-यूक्रेन युद्ध का सबसे गंभीर प्रभाव ग्लोबल साउथ, विशेषकर अफ्रीकी देशों पर पड़ा है, जहां खाद्य संकट गहरा गया है। पीएम मोदी ने लगातार इन देशों की आवाज उठाई है और उनकी उम्मीद है कि इस यात्रा के माध्यम से वह युद्ध को समाप्त करने में योगदान कर सकेंगे। वैश्विक व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार, युद्ध की शुरुआत के बाद से वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण खराब हुआ है, और इसका सबसे बड़ा असर कमजोर देशों पर पड़ा है।
पीएम मोदी का ऐतिहासिक दौरा
भारत ने 30 साल पहले यूक्रेन से राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, लेकिन पीएम मोदी इस देश में यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। उनकी यात्रा पर इसलिए भी सबकी नजरें हैं क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ग्लोबल साउथ की आवाज उठाते रहे हैं। पीएम मोदी की यात्रा का उद्देश्य रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन बनाना और शांति वार्ता को प्रोत्साहित करना है। भारत रूस का एक बड़ा सहयोगी है और यूक्रेन के साथ भी अच्छे संबंध हैं, जिससे पीएम मोदी की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है।
शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
दुनिया की नजरें पीएम मोदी की इस यात्रा पर इसलिए भी हैं क्योंकि यह रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए एक स्थायी शांति प्रयास का हिस्सा हो सकता है। पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मित्रता और उनके युद्ध के बारे में समझदारी उन्हें इस संघर्ष में महत्वपूर्ण मध्यस्थ बना सकती है। उनके कूटनीतिक कौशल से युद्ध के समापन की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
भारत की तटस्थ स्थिति
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ स्थिति अपनाई है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी मतदान से परहेज किया है। भारत ने कभी रूस को संकट भड़काने वाला नहीं कहा, लेकिन लगातार इस बात का संदेश दिया कि युद्ध समाधान का रास्ता नहीं है। भारत का दृष्टिकोण यह है कि कूटनीति और बातचीत ही विवादों का समाधान हैं, भले ही वर्तमान परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
पीएम मोदी की मदद की संभावनाएं
कोरोना महामारी के दौरान भारत द्वारा किए गए योगदान ने यह दिखाया कि पीएम मोदी वैश्विक भलाई में विश्वास रखते हैं। उनकी तटस्थ स्थिति और कूटनीतिक कौशल उन्हें इस युद्ध में शांति की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने का एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं। यदि रूस और यूक्रेन दोनों शांति की दिशा में सोचते हैं, तो पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत शांति समझौते की बातचीत का समर्थन करने के लिए तैयार रहेगा। इस प्रकार, पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा केवल एक द्विपक्षीय वार्ता नहीं, बल्कि वैश्विक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखी जा रही है।
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