आतिशी का मंत्रिमंडल: 5 MLA के साथ नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में नई राजनीतिक दिशा की ओर।



आतिशी की नई कैबिनेट के 3 संदेश... अहलावत से नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली सेट, एक मंत्री पद छोड़कर 5 MLA को साधा


आतिशी का मंत्रिमंडल: 5 MLA के साथ नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में नई राजनीतिक दिशा की ओर।

आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली के नए मंत्रियों के नामों की घोषणा कर दी है, जिसमें आतिशी को मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया गया है। सूत्रों के अनुसार, आतिशी के साथ कुल 5 मंत्री शपथ लेंगे। इस कैबिनेट में शामिल मंत्रियों में गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत, इमरान हुस्सैन और मुकेश अहलावत का नाम है। ध्यान देने योग्य है कि मुकेश अहलावत को छोड़कर अन्य चार मंत्री पहले से ही अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

कैबिनेट में दलित प्रतिनिधित्व का महत्व

आम आदमी पार्टी ने मुकेश अहलावत को दलित कोटे से शामिल करके नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। यह क्षेत्र दलित बाहुल्य है, जहां विधानसभा की कुल 10 सीटों में से 3 सीटें दलितों के लिए रिजर्व हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने इस क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में अहलावत को शामिल करने का निर्णय एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।

आतिशी का नया नेतृत्व और पुरानी टीम

आतिशी ने अपनी नई कैबिनेट में चार ऐसे मंत्रियों को रखा है, जो पहले केजरीवाल सरकार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे। इस बदलाव के माध्यम से आप यह संदेश देना चाहती है कि केवल मुख्यमंत्री का पद बदला गया है, जबकि सरकार की कार्यशैली और मंत्रियों की टीम में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है। आतिशी ने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य अरविंद केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाना है, और वे न्याय के मुद्दे पर आगामी चुनाव लड़ेंगे।

एक पद का रिक्त रहना: रणनीतिक संदेश

दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं और सरकार में 7 सदस्य शामिल हो सकते हैं। हालांकि, आतिशी कैबिनेट में एक पद अभी रिक्त रखा गया है। इस निर्णय के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, आम आदमी पार्टी का यह संदेश है कि वे "मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस" के सिद्धांत पर चल रहे हैं, यानी कम संसाधनों में अधिक काम करने की कोशिश करेंगे। दूसरा, इस खाली पद से पार्टी के भीतर आंतरिक दावेदारी को भी जीवित रखा जा रहा है। इस पद के लिए विशेष रवि, दुर्गेश पाठक, सोमनाथ भारद्वाज, संजीव झा और जरनैल सिंह जैसे नेता दावेदार रहे हैं।

शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां

आतिशी और उनकी नई कैबिनेट 21 सितंबर को शपथ ले सकती है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस संबंध में गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति को पत्र भेजा है। शपथ ग्रहण के बाद नए मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किया जाएगा। इस विभाग बंटवारे में शिक्षा और वित्त मंत्रालय पर खास ध्यान रहेगा, क्योंकि ये दोनों विभाग पहले मनीष सिसोदिया और फिर आतिशी के पास थे।

शिक्षा और वित्त मंत्रालय का भविष्य

आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि वे शिक्षा और वित्त मंत्रालय का खुद प्रभार संभालेंगी या फिर केजरीवाल की तरह बिना किसी विभाग के मुख्यमंत्री की भूमिका निभाएंगी। केजरीवाल ने 2013 में मुख्यमंत्री बनने के बाद बिना किसी विभाग का प्रभार लिए काम किया था, जिससे मंत्रियों के कार्यों की निगरानी पर जोर दिया गया।

आगामी चुनावों की रणनीति

आम आदमी पार्टी आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति में "ईमानदारी" को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। हाल ही में एक कार्यक्रम में, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चुनाव में केवल एक सवाल पर वोट देना है: "क्या केजरीवाल ईमानदार हैं?" यह मुद्दा आप के चुनावी प्रचार का मुख्य आधार बनेगा।आम आदमी पार्टी की नई कैबिनेट में शामिल मंत्रियों के चयन और एक पद के रिक्त रहने से यह स्पष्ट है कि पार्टी दिल्ली की राजनीतिक धारा को समझते हुए चुनावी रणनीति बना रही है। आतिशी के नेतृत्व में, आप अपने पुराने कार्यों को जारी रखते हुए नए दिशा-निर्देशों पर काम करने का प्रयास करेगी। आगामी शपथ ग्रहण समारोह और विभागों का बंटवारा राजनीतिक समीकरणों को और भी रोचक बनाएगा।

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