अनुज प्रताप एनकाउंटर: क्या यह जातिगत भेदभाव के आरोपों को समाप्त करेगा या बढ़ाएगा?

अनुज प्रताप एनकाउंटर: क्या यह जातिगत भेदभाव के आरोपों को समाप्त करेगा या बढ़ाएगा?


अनुज प्रताप एनकाउंटर: क्या यह जातिगत भेदभाव के आरोपों को समाप्त करेगा या बढ़ाएगा?

सुल्तानपुर डकैती केस में हालिया एनकाउंटर ने न केवल एक विवाद खड़ा किया है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस की कार्रवाई पर गहरा प्रश्नचिह्न भी लगा दिया है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गंभीर आरोप लगाया है कि पुलिस जाति के आधार पर एनकाउंटर कर रही है। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि इससे न केवल समाज में विभाजन की भावना बढ़ सकती है, बल्कि यह न्याय व्यवस्था पर भी असर डालती है।

एनकाउंटर का राजनीतिक संदर्भ

28 अगस्त, 2024 को सुल्तानपुर के ठठेरी बाजार में डकैती के मामले में 12 आरोपी नामित हुए थे, जिनमें से दो के एनकाउंटर के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या पुलिस अपनी जिम्मेदारियों को निभा रही है या फिर यह किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस की पीठ थपथपाते हुए कहा कि अपराधियों को खामियाजा भुगतना पड़ेगा। वहीं, अखिलेश यादव ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताते हुए इसे नाइंसाफी करार दिया।यह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच खड़ी स्थिति से स्पष्ट होता है कि सरकार और विपक्ष के बीच की खाई कितनी गहरी है। सत्ताधारी पार्टी की यह कोशिश होती है कि वह अपराधियों पर काबू पाने का दिखावा करे, जबकि विपक्ष इसे अपने राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने की कोशिश करता है। यह स्थिति कानून व्यवस्था को और अधिक जटिल बना देती है।

जातिगत भेदभाव का आरोप

सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में यह बेहद महत्वपूर्ण है कि अखिलेश यादव का आरोप है कि एनकाउंटर जाति के आधार पर हो रहे हैं। यह बात गंभीर है क्योंकि इससे न केवल समाज में भेदभाव की भावना बढ़ती है, बल्कि पुलिस के प्रति भी अविश्वास की स्थिति उत्पन्न होती है। अनुज प्रताप सिंह के पिता का बयान दर्शाता है कि परिवार को यह लग रहा है कि राजनीतिक खेल में उनकी औकात के आधार पर उनके बेटे की जान ली गई। जब समाज में यह धारणा बन जाती है कि पुलिस जाति देखकर कार्रवाई कर रही है, तो यह कानून व्यवस्था को undermine करता है।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल

पुलिस एनकाउंटर पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। कई मामलों में एनकाउंटर को न्यायिक जांच में फर्जी पाया गया है। यह स्थिति उस समय और गंभीर हो जाती है जब पुलिस को अपनी कार्रवाई का औचित्य साबित करने में कठिनाई होती है। यूपी एसटीएफ का यह नया एनकाउंटर केवल सरकार की छवि को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि यह न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगाएगा।अनेक मामलों में एनकाउंटर के बाद आरोपियों के परिवारों को न्याय की तलाश में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है। क्या पुलिस के पास इस प्रकार की कार्यप्रणाली को सही ठहराने का कोई आधार है? जब पुलिस की कार्यशैली पर संदेह उठता है, तो समाज में एक अराजकता का माहौल बनता है।

सामाजिक प्रभाव

इस तरह के एनकाउंटर से समाज में एक भय का माहौल बनता है, जिससे लोग पुलिस से दूर भागने लगते हैं। यह स्थिति विशेषकर तब अधिक गंभीर होती है जब आम आदमी पुलिस की सहायता लेने में हिचकिचाता है। इससे न केवल अपराधियों का मनोबल बढ़ता है, बल्कि अपराधी गतिविधियाँ भी बढ़ सकती हैं। स्थानीय निवासियों के बीच पुलिस और जनता के बीच विश्वास को कमजोर करना बेहद खतरनाक है।जब लोग पुलिस पर भरोसा नहीं करते, तो वे अपने ही समुदाय में कानून को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर सकते हैं। इससे कानून व्यवस्था में और अधिक विघटन हो सकता है, जो अंततः समाज के लिए हानिकारक है।

जाति और कानून

जातिगत भेदभाव के आरोपों से यह स्पष्ट होता है कि हमारे समाज में जातिवाद की समस्या कितनी गहरी है। पुलिस के एनकाउंटर जैसे मामलों में यदि जाति को ध्यान में रखा जाता है, तो यह संकेत देता है कि सामाजिक असमानता और जातिवाद हमारे न्यायिक सिस्टम में भी मौजूद है। इससे यह समझना आसान होता है कि क्यों पुलिस की कार्रवाई पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं।इस स्थिति में, यदि पुलिस अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं करती है, तो यह समाज में और अधिक विद्वेष पैदा कर सकती है। यही कारण है कि न्याय की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

कानून के प्रति सम्मान

जब तक पुलिस और सरकार अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से नहीं निभाती, तब तक समाज में अराजकता और भय का माहौल बना रहेगा। लोग कानून और उसके कार्यान्वयन पर विश्वास करना छोड़ सकते हैं, जो अंततः एक स्वस्थ समाज के लिए घातक है।इस संदर्भ में, यह आवश्यक है कि पुलिस अपने कार्यों का औचित्य सिद्ध करे और अपने कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाए। इससे न केवल पुलिस की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक बदलाव आएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ