आतिशी बनाम केजरीवाल: नई सरकार में कौन से प्रमुख परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं?
दिल्ली में 55 महीने बाद एक नई सरकार का गठन हुआ है, जिसमें मुख्यमंत्री आतिशी ने अपने 5 मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण किया। इसे अरविंद केजरीवाल सरकार का विस्तार माना जा रहा है, लेकिन आतिशी की कैबिनेट को 2020 की केजरीवाल सरकार से अलग भी कहा जा रहा है।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व
अरविंद केजरीवाल की 2020 की कैबिनेट में 6 मंत्रियों का चयन किया गया था, जिनमें से हर एक ने अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। मनीष सिसोदिया पूर्वी दिल्ली, सत्येंद्र जैन नॉर्थ दिल्ली और गोपाल राय शहादरा क्षेत्र से थे। अब, आतिशी की सरकार में शहादरा से सिर्फ एक मंत्री है। नई दिल्ली से सौरभ भारद्वाज और नॉर्थ वेस्ट से मुकेश अहलावत को शामिल किया गया है। इस प्रकार, क्षेत्रीय संतुलन में बदलाव आया है।
जातिगत प्रतिनिधित्व
जातिगत दृष्टिकोण से भी नई कैबिनेट में बदलाव हुआ है। 2020 में, केजरीवाल की कैबिनेट में विभिन्न जातियों के नेताओं की भागीदारी थी, जिसमें दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं की संख्या 40% थी। अब, आतिशी की नई कैबिनेट में मुख्यमंत्री के रूप में राजपूत समुदाय की महिला शामिल हैं, और कुल मिलाकर पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) समुदाय की भागीदारी 50% तक पहुँच गई है।
पार्टी के प्रमुख चेहरों का बाहर होना
यह पहली बार है कि आम आदमी पार्टी के तीन प्रमुख चेहरेअरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन कैबिनेट से बाहर हैं। ये तीनों नेता 2013, 2015 और 2020 की सरकारों में शामिल रहे थे। अब, उनके स्थान पर नए चेहरे जैसे सौरभ भारद्वाज और मुकेश अहलावत को शामिल किया गया है।
अनुभव का महत्व
2020 में, केजरीवाल की कैबिनेट में सभी मंत्री पहले से अनुभवी थे, जबकि आतिशी की नई कैबिनेट में दो मंत्री पहली बार विधायक बने हैं। खुद आतिशी ने कालकाजी से जीत हासिल की थी, जबकि मुकेश अहलावत सुल्तानपुर माजरा से पहली बार विधायक बने हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी अब युवा नेताओं को अवसर दे रही है।
औसत उम्र में परिवर्तन
केजरीवाल की 2020 की कैबिनेट की औसत उम्र 47.7 साल थी, जबकि आतिशी की नई कैबिनेट की औसत उम्र 46 साल है। यह छोटी उम्र का मंत्रिमंडल युवा नेतृत्व को दर्शाता है और यह दिखाता है कि नई सरकार समाज के युवा वर्ग की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखेगी।
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