IAS अभिषेक और SDM निशा के इस्तीफे का पेंच बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट की चुनावी राह पर क्या असर?
भारतीय कुश्ती के सितारे बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने राजनीति में कदम रखने के लिए रेलवे की सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। दोनों पहलवान वर्तमान में रेलवे में विशेष कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के पद पर कार्यरत थे और हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ओर से उम्मीदवार बन सकते हैं। हालांकि, उनके इस्तीफे की स्वीकृति में होने वाली देरी उनके चुनावी भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
रेलवे की प्रक्रिया और देरी की संभावनाएँ
नॉर्दन रेलवे के चीफ पीआरओ कुलतार सिंह के अनुसार, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट का इस्तीफा हाल ही में प्राप्त हुआ है और इसे रेलवे के नियमानुसार प्रक्रिया के तहत स्वीकृति दी जाएगी। इस प्रक्रिया में एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) की समीक्षा की जाएगी, जिसके बाद ही इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा। रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, यह प्रक्रिया 24 घंटे से लेकर 6 महीने तक लग सकती है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख 12 सितंबर है, जिससे समय की कमी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
निशा बांगरे का हाईकोर्ट का चक्कर
हाल ही में मध्य प्रदेश सिविल सेवा की अधिकारी निशा बांगरे ने 2023 में चुनावी राजनीति में भाग लेने के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। निशा बैतूल जिले की आमला सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में थीं। लेकिन उनकी इस्तीफा स्वीकृति में सरकार द्वारा की गई देरी ने उनके चुनावी प्रयासों को गंभीर रूप से प्रभावित किया। इस्तीफे को लेकर मामले की सुनवाई करने के लिए उन्हें उच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा। लंबे समय तक चलने वाली कानूनी प्रक्रिया के बाद, उनका इस्तीफा स्वीकृत हो गया, लेकिन तब तक कांग्रेस ने आमला सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। निशा ने टिकट बदलवाने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने उनके अनुरोध को ठुकरा दिया।
मदन गोपाल मेघवाल का इस्तीफा और चुनावी जटिलताएँ
राजस्थान के आईपीएस अधिकारी मदन गोपाल मेघवाल ने 2018 में सेवा से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा स्वीकार करने में आठ दिन की देरी के चलते उनकी चुनावी रणनीति प्रभावित हो गई। खाजूवाला सीट से टिकट पाने की उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब पार्टी ने इस सीट पर गोविंदराम मेघवाल को उम्मीदवार बना दिया। मदन गोपाल ने अपनी नौकरी वापस पाने के लिए आवेदन किया, लेकिन उनका यह आवेदन भी अस्वीकृत हो गया। अंततः, उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखी, लेकिन बीकानेर सीट से उम्मीदवार बनने के बावजूद वे चुनाव जीतने में असफल रहे।
अभिषेक सिंह का इस्तीफा और टिकट की दिक्कतें
यूपी काडर के चर्चित आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह ने 2023 में जौनपुर से चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे की स्वीकृति में छह महीने की देरी हुई, जिससे उनका चुनावी अभियान प्रभावित हुआ। पहले बीजेपी से चुनाव लड़ने की योजना थी, लेकिन इस्तीफे की देरी ने बीजेपी को कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बनाने पर मजबूर कर दिया। अभिषेक सिंह का चुनावी सपना पूरा नहीं हो सका और चुनाव के बाद उन्होंने नौकरी में वापसी की अर्जी दी, जो अब तक अस्वीकृत है।
बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट की रेलवे नौकरी से इस्तीफा देने की घटना, और इससे जुड़ी प्रक्रियात्मक देरी ने राजनीति में उनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्थिति संकेत देती है कि चुनावी राजनीति में सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने की प्रक्रिया में कानूनी और प्रशासनिक बाधाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस प्रकार की जटिलताएँ भविष्य में अन्य उम्मीदवारों के लिए भी एक सबक हो सकती हैं, जो राजनीति में प्रवेश करने के लिए सरकारी पदों से इस्तीफा देने की सोच रहे हैं।
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