देश के प्रमुख कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी का निधन, राजनीति में छा गया शोक


देश के प्रमुख कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी का निधन, राजनीति में छा गया शोक 

 देश के प्रमुख कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी का निधन, राजनीति में छा गया शोक

दिल्ली, 12 सितंबर 2024: भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण छवि और मजबूत आवाज के रूप में पहचान रखने वाले सीताराम येचुरी का निधन आज दिल्ली के एम्स में हो गया। वह 72 वर्ष के थे। पिछले कुछ दिनों से येचुरी एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का सामना कर रहे थे, और अंततः निमोनिया के कारण उनका निधन हो गया। उनका निधन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और व्यापक राजनीतिक समाज के लिए एक गहरा झटका है।सीताराम येचुरी का जन्म 1952 में मद्रास (अब चेन्नई) में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे और मां कल्पकम येचुरी एक सरकारी अधिकारी थीं। उनके शैक्षिक जीवन की शुरुआत सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में बीए के साथ हुई, और फिर उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री प्राप्त की। येचुरी का राजनीतिक करियर 1970 के दशक की शुरुआत में ही शुरू हो गया था जब वह जेएनयू के छात्र संघ के अध्यक्ष बने।

उनकी राजनीतिक यात्रा ने उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का एक प्रमुख नेता बना दिया। 1975 में, जब भारत में आपातकाल की स्थिति थी, उन्हें गिरफ्तार किया गया था। जेएनयू में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने वामपंथी विचारधारा को प्रोत्साहित किया और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान स्थापित किया।साल 1974 में, सीताराम येचुरी ने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) में शामिल होने के बाद, उन्होंने पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। 1984 में, उन्हें सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति में शामिल किया गया और 19 अप्रैल 2015 को पार्टी के महासचिव बने।

येचुरी का प्रमुख योगदान 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के मसौदे को तैयार करने में था। इसके अलावा, उन्होंने 2004 में यूपीए सरकार के गठन के दौरान गठबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक रणनीति ने उन्हें पार्टी और देश के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना दिया।राज्यसभा में उन्होंने 12 साल तक अपनी सेवाएं दीं और 2016 में उन्हें राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार भी मिला। उनका कार्यकाल 2005 से 2017 तक चला, और इस दौरान उन्होंने पार्टी के युवाओं को प्रेरित किया और उनकी राजनीति में सहभागिता को बढ़ावा दिया।

सीताराम येचुरी के निधन पर देशभर से शोक की लहर है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "सीताराम येचुरी जी मेरे मित्र थे और देश के विचारों के रक्षक थे। उनकी गहरी समझ और राजनीति के प्रति उनका समर्पण हमें हमेशा प्रेरित करेगा। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदना।"

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सीताराम येचुरी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि सीताराम येचुरी का निधन हो गया है। वह एक अनुभवी सांसद थे और उनका निधन देश की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं उनके परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।"

सीताराम येचुरी का अंतिम संस्कार उनकी इच्छा के अनुसार किया जाएगा। एम्स की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली स्थित उनके आवास पर लाया जाएगा और फिर सीपीएम मुख्यालय में श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। शनिवार को सुबह 11 बजे से 3 बजे तक सीपीएम मुख्यालय में उनके योगदान और सेवा को सम्मानित करने के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।

सीताराम येचुरी की राजनीति, विचारधारा और उनके समर्पण का सम्मान हमेशा किया जाएगा। उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण शून्य उत्पन्न हो गया है, जिसे भरना मुश्किल होगा। उनके कार्य और उनके द्वारा की गई मेहनत हमेशा याद रखी जाएगी।

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