
जेपीसी बैठक में बवाल: ओवैसी और सिंह ने गृह मंत्री के बयान पर उठाए गंभीर सवाल
वक्फ संशोधन बिल को लेकर चल रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में असदुद्दीन ओवैसी और संजय सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर गंभीर सवाल उठाए हैं। दोनों नेताओं ने बैठक में स्पष्ट किया कि जब मामला जेपीसी के पास है, तो गृह मंत्री को इस पर सार्वजनिक बयान देने की आवश्यकता क्या है? उनकी चिंता यह थी कि क्या यह बयान संसदीय समिति पर दबाव बनाने का प्रयास है।बैठक की यह पांचवीं कड़ी थी, जिसमें ओवैसी और सिंह ने एक स्वर में कहा कि गृह मंत्री का यह बर्ताव संसदीय प्रक्रिया का उल्लंघन है। संजय सिंह ने कहा, "क्या गृह मंत्री यह बताना चाहते हैं कि वे संसदीय समिति के काम में हस्तक्षेप कर रहे हैं?" इस सवाल ने समिति की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।बैठक में पटना की चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा ने भी अपनी राय रखी। उन्होंने वक्फ ट्रिब्यूनल और वक्फ बाय यूजर के समर्थन में अपने विचार व्यक्त किए। मुस्तफा ने चेतावनी दी कि अगर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को अधिक शक्ति दी गई, तो इससे स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को इस मामले में सावधानी बरतनी चाहिए और केवल उन संशोधनों को लागू किया जाना चाहिए, जिन पर सभी संबंधित पक्षों की सहमति हो।
ऑल इंडिया मुस्लिम पसमांदा महाज ने भी अपनी बात रखी और संशोधन को जायज ठहराया। महाज ने सरकार के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि यह संशोधन आवश्यक है। फिलहाल, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी अपनी बातों को समिति के सामने रख रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न स्टेक होल्डर्स की रायों का इस प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा।जेपीसी की चौथी बैठक से पहले, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जुमे की नमाज के दौरान कुछ नमाजियों ने वक्फ में संशोधन का विरोध किया। उन्होंने क्यूआर कोड के माध्यम से विरोध दर्ज कराने की योजना बनाई थी, जिसे लेकर जेपीसी ने अपनी स्थिति स्पष्ट की। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि इस प्रकार के किसी क्यूआर कोड जारी नहीं किए गए हैं। यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि समिति विरोध की स्थिति को गंभीरता से ले रही है।
इस बीच, बैठक में उपस्थित नेताओं ने एकजुट होकर यह कहा कि वक्फ संशोधन बिल से संबंधित मुद्दों पर पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए। किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले सभी संबंधित पक्षों को सुनना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संशोधन से वक्फ की मूल भावना का संरक्षण हो सके।संजय सिंह और असदुद्दीन ओवैसी ने जोर देकर कहा कि यह आवश्यक है कि संसदीय समितियों को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए और राजनीतिक हस्तक्षेप से बचा जाए। इस प्रकार की गतिविधियों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अवहेलना होती है और इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने इस बात पर सहमति जताई कि वक्फ संशोधन बिल का लक्ष्य इस क्षेत्र में सुधार लाना है, लेकिन इसे उचित प्रक्रिया के माध्यम से करना चाहिए। अंततः, जेपीसी की यह बैठक विभिन्न दृष्टिकोणों को एक मंच पर लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। सभी पक्षों की राय सुनने और उनके विचारों को समझने से ही सही निर्णय लिया जा सकेगा। बैठक अभी भी जारी है और आगे की चर्चा में सभी के विचारों को शामिल किया जाएगा।
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