केजरीवाल की जमानत के बाद हरियाणा में आप की ताकत ने भाजपा और कांग्रेस को मुश्किल में डाला

केजरीवाल की जमानत के बाद हरियाणा में आप की ताकत ने भाजपा और कांग्रेस को मुश्किल में डाला

 केजरीवाल की जमानत के बाद हरियाणा में आप की ताकत ने भाजपा और कांग्रेस को मुश्किल में डाला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले के संदर्भ में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में जमानत दे दी। इस फैसले के तुरंत बाद, आम आदमी पार्टी (आप) की हरियाणा इकाई के प्रमुख सुशील गुप्ता ने यह घोषणा की कि पार्टी अब राज्य में चुनाव प्रचार को तेज करेगी, जहाँ लोग बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं। गुप्ता के बयान से स्पष्ट है कि आप हरियाणा में चुनावी रणभूमि में पहले से कहीं अधिक मजबूती से उतरने की तैयारी कर रही है।हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में आप अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। गुप्ता ने कहा कि लोग भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) को सत्ता से बाहर करने का इंतजार कर रहे हैं और वे बदलाव चाहते हैं। भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन के तहत विकास ठप हो गया है। गुप्ता की यह बात स्पष्ट करती है कि आप हरियाणा में भाजपा को चुनौती देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि भले ही आप का पिछले विधानसभा चुनावों में हरियाणा में खास रिकॉर्ड नहीं रहा हो, लेकिन इस बार पार्टी अपने वोट बेस में इजाफा कर सकती है। यदि आप अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह कांग्रेस के लिए एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती है। हरियाणा में अधिकांश सीटों पर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होने की संभावना है, जबकि दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी जैसे छोटे दल भी कुछ हद तक प्रभावी हो सकते हैं। हालांकि, इन दलों की मुख्य लड़ाई में कितनी भूमिका होगी, यह संदेहास्पद है।आप का हरियाणा में मजबूती से उतरना कांग्रेस के लिए हानिकारक हो सकता है। पंजाब में सत्ता में आने के बाद से आप के हौसले बुलंद हैं, और केजरीवाल की रिहाई के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का जोश भी बढ़ गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता केजरीवाल और अन्य पार्टी नेता प्रचार-प्रसार में पूरी ताकत लगा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर आप का प्रचार अभियान तेजी से बढ़ता है, तो भाजपा विरोधी वोट बंट सकते हैं, जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है और भाजपा को फायदा हो सकता है।

आप ने कांग्रेस की कीमत पर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार की है। दिल्ली और पंजाब में आप ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया है, जबकि गोवा और गुजरात में कांग्रेस की स्थिति को खराब करने में आप का बड़ा हाथ रहा है। दिल्ली में 2020 के विधानसभा चुनावों में आप को 70 में से 62 सीटें मिलीं, जबकि भाजपा को 8 सीटें मिलीं। कांग्रेस को लगातार दूसरी बार शून्य पर सिमटना पड़ा। पंजाब में भी आप ने 117 में से 92 सीटें जीतकर सत्ता में आ गई, जबकि कांग्रेस केवल 18 सीटें ही जीत पाई।गोवा और गुजरात में आप ने कांग्रेस की वोट बैंक में सेंध लगाई, जिससे भाजपा को फायदा हुआ। गोवा में 2022 के चुनावों में आप को 6.8% वोट मिले, जबकि गुजरात में 12.92% वोट मिले। इन राज्यों में कांग्रेस का वोट शेयर घटा और भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा, जिससे भाजपा ने दोनों राज्यों में सरकार बनाई। अब यह देखना होगा कि क्या हरियाणा में भी आप और कांग्रेस के बीच की लड़ाई पुरानी परिस्थितियों को दोहराएगी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उनके समर्थकों के लिए यह राहत की खबर है। केजरीवाल को 156 दिनों के बाद जेल से बाहर आने का मौका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कुछ शर्तें लगाई हैं, जिनमें प्रमुख है कि वे किसी भी सरकारी फाइल पर दस्तखत नहीं कर पाएंगे और अपने दफ्तर में नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा, उन्हें इस मामले में कोई सार्वजनिक टिप्पणी भी नहीं करनी होगी।आप के नेताओं ने केजरीवाल की रिहाई को सत्य की जीत बताया है। हालांकि, पार्टी के लिए यह भी शर्मिंदगी की बात है कि केजरीवाल की रिहाई के लिए उन्हें 10 लाख का मुचलका भरना पड़ा। इसका मतलब है कि कोर्ट को अभी भी कुछ संदेह है। यह स्पष्ट है कि कोर्ट केजरीवाल की पूरी निर्दोषता पर अभी भी आश्वस्त नहीं है।केजरीवाल की जेल में रहने के दौरान पार्टी में एक तरह की अराजकता देखी गई। कई नेता अपनी मनमर्जी करने लगे, और कुछ नेताओं ने पार्टी छोड़ना भी मुनासिब समझा। सांसद राघव चड्ढा ने भी इस दौरान पार्टी के लिए काम किया, लेकिन पहले जैसे मुखर नहीं रहे। केजरीवाल की अनुपस्थिति ने पार्टी के कार्यकर्ताओं में असंतोष और भ्रम पैदा किया।

अब, जब केजरीवाल जेल से बाहर आ चुके हैं, पार्टी को उम्मीद है कि उनकी वापसी से चुनावी रणनीति को बेहतर बनाया जा सकेगा। हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए बस दो हफ्ते रह गए हैं, और आप ने सभी सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने लगातार हरियाणा में रैलियां की हैं, और अब केजरीवाल खुद अपने प्रचार अभियान को तेज करेंगे।आप के चुनावी प्रचार के कारण भाजपा विरोधी वोट बंट सकते हैं, जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को आप के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता हो सकती है, और पार्टी के समर्थक गठबंधन के लिए विचार कर सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई हैं, जिसमें उन्हें ट्रायल कोर्ट के साथ पूरा सहयोग करने और 10 लाख का मुचलका भरने की बात शामिल है। यह संकेत करता है कि न्यायालय को अभी भी संदेह है कि कहीं न कहीं शराब घोटाले में गड़बड़ी हुई है।

आप की राजनीति में इस समय महत्वपूर्ण मोड़ आ चुका है। अगर पार्टी ने हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन किया, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। हरियाणा में आप की बढ़ती ताकत कांग्रेस के लिए एक नई चुनौती पेश करेगी। कांग्रेस के पास भी अपने रणनीतिक कदम उठाने का समय है, ताकि वे आप के प्रभाव को नियंत्रित कर सकें और भाजपा की संभावनाओं को कम कर सकें।आप की उपस्थिति हरियाणा में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक फैक्टर बन गई है। यह देखा जाना बाकी है कि पार्टी की रणनीति कितनी प्रभावी साबित होती है और क्या वे अपने समर्थन को बढ़ा पाते हैं। हरियाणा के चुनाव परिणाम भविष्य की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।केजरीवाल की रिहाई के बाद, दिल्ली और हरियाणा दोनों ही जगहों पर आप की सक्रियता और बढ़ गई है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अब अपने अभियान को नए उत्साह के साथ चला रहे हैं। केजरीवाल की वापसी से पार्टी की राजनीति में नई ऊर्जा आई है, जो आगामी चुनावों में उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है।

इस बीच, चुनावी परिदृश्य में लगातार बदलाव होते जा रहे हैं। आप के प्रचार और कांग्रेस की प्रतिक्रिया, दोनों ही भविष्य में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेंगे। हरियाणा के चुनाव में आप का प्रदर्शन यह निर्धारित कर सकता है कि पार्टी की भविष्य की दिशा क्या होगी। हरियाणा में चुनावी समर के पहले ही आप ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को चेतावनी दे दी है। अगर पार्टी अपने प्रचार अभियान को सही दिशा में ले जाती है और अपने समर्थकों को मजबूत करती है, तो यह आने वाले चुनावों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।इस प्रकार, हरियाणा के चुनावी परिदृश्य में आप की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। पार्टी की रणनीति और प्रचार अभियान से यह तय होगा कि कांग्रेस और भाजपा के बीच का मुकाबला कैसे तय होता है। चुनावी परिणाम सभी प्रमुख दलों के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं, और आप की सफलता या असफलता इसके मुख्य घटक होंगे।

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