महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: आदित्य ठाकरे के खिलाफ राज ठाकरे की रणनीति

 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: आदित्य ठाकरे के खिलाफ राज ठाकरे की रणनीति


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: आदित्य ठाकरे के खिलाफ राज ठाकरे की रणनीति

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की औपचारिक घोषणा भले ही अभी नहीं हुई हो, लेकिन सियासी खेल शुरू हो चुका है। विशेष रूप से, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को घेरने के लिए राज ठाकरे की तरफ से एक ठोस रणनीति बनाई जा रही है। वर्ली विधानसभा सीट पर 2019 में विधायक चुने जाने वाले आदित्य ठाकरे इस बार भी यहां से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। इस स्थिति में, राज ठाकरे ने अपने करीबी सहयोगी संदीप देशपांडे को वर्ली सीट से उम्मीदवार के रूप में पेश किया है।

राज ठाकरे की चुनावी मुलाकात

राज ठाकरे ने संदीप देशपांडे को वर्ली सीट से उम्मीदवार बनाने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर लड़ने पर चर्चा करना था। राज ठाकरे की इस चुनावी रणनीति से यह स्पष्ट होता है कि वे आदित्य ठाकरे को उनके गढ़ में ही चुनौती देने की योजना बना रहे हैं, ताकि उन्हें इस बार चुनाव में कड़ी टक्कर मिल सके।

आदित्य ठाकरे की राजनीतिक पृष्ठभूमि

आदित्य ठाकरे, जो कि ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा, ने 2019 में वर्ली सीट पर 67,427 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। इसके साथ ही, उन्होंने मुंबई दक्षिण में शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत की तुलना में अधिक मजबूत स्थिति बनाए रखी थी। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में वर्ली सीट पर उन्हें सिर्फ 6,715 वोटों की बढ़त मिली, जो इस बात का संकेत है कि उनकी स्थिति में कुछ कमजोरी आ रही है।

संदीप देशपांडे की रणनीति

राज ठाकरे के करीबी संदीप देशपांडे ने 2017 में नगर निगम चुनावों में वर्ली में लगभग 33,000 वोट प्राप्त किए थे। उन्होंने कहा कि वर्ली की जनता को एक ऐसा विधायक चाहिए जो उनसे सुलभ हो, और मौजूदा विधायक आदित्य ठाकरे इस कसौटी पर खरे नहीं उतरते। राज ठाकरे ने यह भी कहा है कि उन्होंने 2019 में आदित्य ठाकरे के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था, लेकिन इस बार उनके पास एक विजन प्लान है, जिसमें वर्ली कोलीवाड़ा का विकास और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का वादा शामिल है।

मराठी बनाम बाहरी कार्ड

राज ठाकरे ने चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए "मराठी बनाम बाहरी" का कार्ड खेला है। उनका कहना है कि राज्य का अधिकांश धन बाहरी लोगों पर खर्च किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को नुकसान हो रहा है। यह एक ऐसी रणनीति है जो न केवल आदित्य ठाकरे की स्थिति को कमजोर कर सकती है, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों को भी लाभ पहुंचा सकती है।

एकनाथ शिंदे की शिवसेना की सक्रियता

एकनाथ शिंदे की शिवसेना भी वर्ली विधानसभा सीट पर सक्रिय है। मुख्यमंत्री ने स्थानीय धरतीपुत्र-कोली समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं, जो क्षेत्र में उनकी पकड़ को मजबूत कर सकती हैं। इसके साथ ही, बीजेपी भी इस सीट पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, लेकिन अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हुआ है।

राजनीतिक बिखराव का खतरा

राज ठाकरे की रणनीति से आदित्य ठाकरे की राजनीतिक टेंशन बढ़ सकती है, क्योंकि मराठा वोटों में बिखराव तय है। यदि बिखराव हुआ, तो इसका सीधा लाभ बीजेपी या शिंदे की पार्टी को मिल सकता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आदित्य ठाकरे को अपनी जीत के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ेगा।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में वर्ली सीट पर हो रही यह सियासी मंथन न केवल आदित्य ठाकरे की राजनीतिक भविष्यवाणी को प्रभावित कर सकती है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे एक चुनावी माहौल में विभिन्न दल एक-दूसरे को मात देने के लिए रणनीतियां बना रहे हैं। आदित्य ठाकरे को अपनी हाई प्रोफाइल छवि और पूर्व स्थानीय विधायकों की मदद से चुनावी मैदान में उतरना होगा, जबकि राज ठाकरे और संदीप देशपांडे की टक्कर एक दिलचस्प राजनीतिक मुकाबले का निर्माण करेगी। ऐसे में वर्ली विधानसभा सीट पर चुनावी परिणामों का आकलन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।

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