शारदीय नवरात्रि 2024: कब से शुरू हो रही है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!

शारदीय नवरात्रि 2024: कब से शुरू हो रही है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!


शारदीय नवरात्रि 2024: कब से शुरू हो रही है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि!

शारदीय नवरात्रि का पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। वर्ष में चार नवरात्रियाँ होती हैं, जिनमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि का स्थान सबसे ऊँचा है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का समय होता है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। नवरात्रि के अंत में विजयादशमी या दशहरा का त्योहार मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

शारदीय नवरात्रि का महत्व

शारदीय नवरात्रि भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। पूरे देश में इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस समय देवी दुर्गा की पूजा के लिए भव्य पंडाल सजाए जाते हैं और लोग श्रद्धा से मां के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा का समय होते हैं। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रकट करता है।

2024 की तिथियाँ और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर, 2024 से शुरू होकर 12 अक्टूबर, 2024 तक चलेगी। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जिसे घटस्थापना कहा जाता है। यह मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6:15 से 7:22 के बीच होगा। इसके अतिरिक्त अभिजीत मुहूर्त भी उपयुक्त माना गया है, जो सुबह 11:46 से 12:33 के बीच है।

नवरात्रि के दिन

नवरात्रि के प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाएगी। पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जाएगी। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना होगी। तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन होगा। चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाएगी। पांचवे दिन मां स्कंदमाता का पूजन किया जाएगा। छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होगी। सातवे दिन मां कालरात्रि की आराधना होगी। आठवें दिन मां महागौरी का पूजन किया जाएगा। नवमी के दिन महानवमी मनाई जाएगी, और अंत में दशमी को मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जित की जाएगी।

मां दुर्गा की सवारी

इस बार मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिषीय दृष्टि से, यह स्थिति कुछ अशुभ संकेतों को भी दर्शाती है, जैसे प्राकृतिक आपदाएँ या महामारी। यह बात श्रद्धालुओं को चेतावनी देती है कि हमें प्रकृति और समाज के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

पूजा विधि

नवरात्रि की पूजा विधि अत्यंत सरल और श्रद्धा पूर्ण होती है। पहले दिन श्रद्धालु व्रत का संकल्प लेते हैं। इसके बाद मिट्टी की एक वेदी बनाकर उसमें जौ बोते हैं। यह वेदी कलश पर स्थापित की जाती है।किसी भी मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान है। कलश को गंगाजल से शुद्ध करके रखा जाता है। पूजा के दौरान देवी-देवताओं का आवाहन किया जाता है। कलश में सात प्रकार के अनाज, सिक्के और मिट्टी रखी जाती है। इस कलश को पांच प्रकार के पत्तों से सजाया जाता है और उस पर कुल देवी की तस्वीर रखी जाती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है और अखंड ज्योति जलती रहती है। अंत में मां की आरती की जाती है और प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित किया जाता है।

शारदीय नवरात्रि की कहानी

3 अक्टूबर 2024, गुरुवार: नवरात्रि का पहला दिन था, जब समस्त भक्तों ने मां शैलपुत्री की आराधना की। हर घर में विशेष पूजा की तैयारी थी। कलश स्थापना का समय आया और भक्तगण सुबह-सुबह उठकर पवित्रता से स्नान कर कलश के लिए अनाज और पानी एकत्रित कर रहे थे।

4 अक्टूबर 2024, शुक्रवार: दूसरे दिन, मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की गई। भक्तों ने उपवास रखकर श्रद्धा से मां का भजन गाया। इस दिन देवी के ज्ञान और तपस्या का महत्व समझा गया।

5 अक्टूबर 2024, शनिवार: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजन किया गया। भक्तों ने घंटियों की आवाज में मां के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। मंदिरों में विशेष रौनक थी, और लोग मां के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना कर रहे थे।

6 अक्टूबर 2024, रविवार: चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा हुई। इस दिन भक्तों ने अपनी मेहनत से तैयार की गई मिठाइयाँ और भोग अर्पित किया। मां के इस स्वरूप में शक्ति और ऊर्जा का संचार हुआ।

7 अक्टूबर 2024, सोमवार: पांचवे दिन मां स्कंदमाता की आराधना की गई। भक्तों ने अपनी संतान सुख की कामना की। मां के आशीर्वाद से घर में खुशियों का माहौल बना।

8 अक्टूबर 2024, मंगलवार: छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा हुई। इस दिन कन्याओं का पूजन करके उन्हें विशेष भेंट दी गई। सभी ने मां से सामर्थ्य और बल की प्रार्थना की।

9 अक्टूबर 2024, बुधवार: सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि की आराधना की गई। भक्तों ने अपने पापों का प्रायश्चित्त किया और मां से शांति की कामना की।

10 अक्टूबर 2024, गुरुवार: दुर्गा अष्टमी का दिन था, जब भक्तों ने मां महागौरी की उपासना की। इस दिन विशेष अनुष्ठान और यज्ञ का आयोजन किया गया, जिससे वातावरण में भक्ति और श्रद्धा की गूंज रही।

11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार: महानवमी के दिन भक्तों ने पूरे दिन उपवास रखा। इस दिन मां के प्रति अपनी भक्ति को और गहरा किया। भक्तों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ।

12 अक्टूबर 2024, शनिवार: नवरात्रि का अंतिम दिन दशमी था। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जित की गई। भक्तों ने आंसू भरी आँखों से मां से विदाई ली, परंतु उनके दिल में मां का आशीर्वाद और शक्ति हमेशा बनी रहेगी।

इस प्रकार, नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा का एक अनोखा सफर समाप्त हुआ। हर भक्त ने अपने मन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव किया।

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