
मंदिर, सड़क और वक्फ: दिल्ली में संपत्ति के अधिकार को लेकर छिड़ी बहस।
जरा सोचिए, आप रात को अपने घर में आराम से सो रहे हैं और अचानक सुबह उठते हैं तो देखते हैं कि आपके घर पर वक्फ बोर्ड का पोस्टर लगा है, जिसमें लिखा है कि यह जमीन उनकी है। यह सोचने वाली बात है, खासकर तब जब हम देख रहे हैं कि इसी तरह के दावे पिछले कुछ समय में कई हिंदू मंदिरों के खिलाफ किए जा रहे हैं। हाल ही में संसद में भी एक प्राचीन मंदिर का जिक्र हुआ था, जिसे 1500 साल पुराना बताते हुए वक्फ ने अपनी संपत्ति बताकर उस पर कब्जा कर लिया। इससे विवाद और भी बढ़ गया है।हिंदू संगठनों का आरोप है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड अब उसी पैटर्न पर काम कर रहा है, जैसा कि तमिलनाडु में देखा गया था। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड अपनी कब्जा नीति के तहत हिंदू मंदिरों पर दावा कर रहा है। यह सिर्फ एक धार्मिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और कानूनी प्रश्न भी बन चुका है।
मंदिरों और सड़कों पर वक्फ का दावा
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने हाल ही में 6 हिंदू मंदिरों पर दावा किया है। यह विशेष रूप से चिंताजनक है कि वक्फ ने दो ऐसे मंदिरों के बारे में कहा है कि वहां पहले मजारें थीं, जिन्हें तोड़कर मंदिरों का निर्माण किया गया। और तो और, वक्फ बोर्ड ने दिल्ली की चार लेन की सड़क पर भी दावा किया है, यह कहते हुए कि यह उनकी जमीन है। उनका तर्क है कि सरकारी एजेंसियों ने उस जमीन पर अतिक्रमण किया है।दिल्ली में बने सरकारी DDA दफ्तर, डीटीसी बस अड्डे, और यहां तक कि एमसीडी के कूड़ाघर पर भी वक्फ का दावा है कि ये उनकी संपत्ति हैं। इस तरह के दावों से यह साफ है कि वक्फ का क्षेत्राधिकार अब सिर्फ मस्जिदों और कब्रिस्तानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह हिंदू धर्मस्थलों पर भी प्रभाव डालने लगा है।
क्या वक्फ हिंदुओं के खिलाफ साजिश कर रहा है?
इस स्थिति पर हिंदू संगठन सवाल उठा रहे हैं कि क्या वक्फ अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर रहा है? क्या यह जानबूझकर हिंदू मंदिरों पर अपना दावा कर रहा है? इसके लिए संशोधन की मांग उठाई जा रही है। संगठन मानते हैं कि वक्फ की यह मनमानी अब नियंत्रण से बाहर हो चुकी है और इसे रोकने के लिए कानूनी उपाय आवश्यक हैं।दिल्ली के कई प्राचीन मंदिरों पर वक्फ का दावा किया जा रहा है। जैसे कि बीके दत्त कॉलोनी में स्थित सनातन धर्म मंदिर, पश्चिमी दिल्ली के मंगलापुरी में प्राचीन शिव मंदिर, और शमशान मंगलापुरी का शिव शक्ति काली माता मंदिर। ये सभी मंदिर ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और इनके निर्माण का समय वक्फ बोर्ड के अस्तित्व से बहुत पहले का है।
वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए दावों ने धार्मिक समुदायों के बीच तनाव बढ़ा दिया है। यह जरूरी है कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जाए। क्या यह वास्तव में एक कानून की प्रक्रिया का हिस्सा है, या यह एक साजिश है जो हिंदू संस्कृति और धार्मिक स्थलों पर संकट पैदा कर रही है? समय आने पर यह स्पष्ट होगा कि क्या वक्फ बोर्ड की कार्रवाई न्यायसंगत है या फिर इसे कानून के दायरे में रोकने की आवश्यकता है। इस प्रकार के मुद्दे पर समाज में बातचीत और संवेदनशीलता जरूरी है, ताकि किसी भी समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
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