RSS और योगी की मथुरा मुलाकात ने संगठन के भविष्य के लिए नई दिशा तय की।



RSS और योगी की मथुरा मुलाकात ने संगठन के भविष्य के लिए नई दिशा तय की।

लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदर्शन के बाद, प्रदेश भाजपा में असंतोष का माहौल उभरने लगा था। लेकिन अब, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर से राजनीतिक मंच पर मजबूत नजर आ रहे हैं। हाल ही में मथुरा में हुई आरएसएस की दो दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक में योगी ने सबका ध्यान खींचा। यहां उन्होंने संघ के शीर्ष नेताओं के साथ गहन चर्चा की और कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे, जो भविष्य में पूरे भारत और हिंदू समाज पर असर डाल सकते हैं।

कुंभ में पिछड़े और अन्य समुदायों की भागीदारी

योगी आदित्यनाथ ने बैठक में कर्नाटक के ओबीसी समुदायों, विशेषकर लिंगायतों और कुछ आदिवासी समूहों को कुंभ मेले में शामिल करने की योजना पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि इन समुदायों तक पहुंचा जाए, जो या तो ऐसे धार्मिक त्योहारों से दूर रहे हैं या उन्हें कभी आमंत्रित नहीं किया गया। अगले साल प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले में बड़े पैमाने पर हिंदुओं का शामिल होना तय है, और योगी का उद्देश्य इस मेले में इन समुदायों की भागीदारी को सुनिश्चित करना है।

संघ के साथ गहन चर्चा

बैठक के दौरान, योगी ने संघ के शीर्ष नेताओं के साथ 45 मिनट तक बंद कमरे में चर्चा की। इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। एक वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने कहा कि यह मुद्दा संघ के लिए भी महत्वपूर्ण है, और पहले इस पर ध्यान नहीं दिया गया था। योगी ने स्वामीनारायण संप्रदाय को भी कुंभ में शामिल करने की बात की, जो पहले ऐसा नहीं करते थे।

योगी और आरएसएस के बीच बढ़ती केमिस्ट्री

योगी आदित्यनाथ, जो भाजपा के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक माने जाते हैं, की कार्यशैली और उनके भाषणों की देश भर में प्रशंसा होती है। मथुरा में उनकी सक्रियता और संघ के नेताओं के साथ उनके मजबूत संबंध दिखाते हैं कि वे अब संघ के प्रिय नेता बन चुके हैं। योगी ने सुझाव दिया कि संघ अपने शताब्दी वर्ष समारोह के हिस्से के रूप में कुंभ मंच का उपयोग करके सामाजिक सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को बढ़ावा दे।

भविष्य के प्रतीक के रूप में योगी

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने योगी आदित्यनाथ को 'भविष्य' के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि योगी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं और जो भी उनकी विचारधारा साझा करता है, वह संघ का है। यह दर्शाता है कि योगी की राजनीति और संघ की विचारधारा के बीच गहरा संबंध बन रहा है।

पहले की दूरी और अब का नजारा

योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक यात्रा में संघ के साथ उनकी दूरी एक समय चर्चा का विषय थी। हालांकि, उनके हिंदुत्व के मुद्दों पर आक्रामकता और कानून व्यवस्था बनाए रखने की सख्त छवि ने उन्हें संघ का प्रिय बना दिया। पहले तो संघ और योगी के बीच एक संदेह का माहौल था, लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं। मथुरा में हुई बैठक ने यह साबित कर दिया कि योगी अब संघ के एक महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं।

क्या है आगे का रास्ता?

आने वाले समय में योगी आदित्यनाथ की यह सक्रियता भाजपा और संघ के लिए कई नई संभावनाएं खोलेगी। उनकी योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न समुदायों को कुंभ में लाना और सामाजिक सद्भाव के लिए कदम उठाना यह दर्शाता है कि वे केवल एक राज्य के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय नेता बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं।योगी आदित्यनाथ का यह कदम न केवल उनकी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि यह भाजपा की चुनावी रणनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आने वाले चुनावों में इन नए समीकरणों का प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके साथ ही, योगी का यह कदम संघ के साथ उनके संबंधों को और मजबूत करेगा, जो भविष्य में उन्हें और अधिक सशक्त बनाएगा।

योगी आदित्यनाथ की हाल की गतिविधियां स्पष्ट रूप से यह दर्शाती हैं कि वे अब केवल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं रह गए हैं, बल्कि वे भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनते जा रहे हैं। आरएसएस के साथ उनकी बढ़ती नजदीकियां और महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी सक्रियता यह साबित करती है कि वे भविष्य में हिंदुत्व और भाजपा की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इस संदर्भ में, योगी का कुंभ में अन्य समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास एक बड़ा कदम साबित हो सकता है, जो न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को बढ़ाएगा, बल्कि भाजपा को भी एक नई दिशा में ले जाने में मदद करेगा।

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