ऑक्सीटोसिन के असर से पहली नजर में दिलों में प्यार कैसे जगता है, जानिए इसका विज्ञान
प्यार एक ऐसी भावना है, जिसे शब्दों में बयां करना हमेशा मुश्किल रहा है। साहित्य, फिल्में, और संगीत में यह भावना हमेशा से प्रमुख रही है। एक गीत, "मोहब्बत नाम है किसका..." फिल्म दिल कितना नादान है (1997) का, यही सवाल उठाता है कि आखिर प्यार है क्या, कैसे शुरू होता है और कहां खत्म होता है। ये शब्द एक गहरे सवाल का जवाब मांगते हैं, जो हर इंसान के मन में होता है। विज्ञान ने इस सवाल का एक दिलचस्प जवाब दिया है, और यह जवाब है - "आंखों से शुरू होता है।"आंखों से प्यार का आरंभ किसी जादू जैसा लगता है, लेकिन इसका वैज्ञानिक आधार भी है। जब हम किसी को पहली बार देखते हैं, तो हमारे शरीर में एक हार्मोन का उत्सर्जन होता है, जो हमारे दिमाग और शरीर को भावनात्मक रूप से जोड़ता है। यह हार्मोन है ऑक्सीटोसिन। यह हार्मोन हमारी सामाजिक और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का प्रमुख हिस्सा होता है, और यही हमें किसी के प्रति आकर्षित करता है। यह हार्मोन हमारे दिलों में एक अनदेखे जुड़ाव की नींव रखता है, जो किसी को देखकर पैदा होती है।
ऑक्सीटोसिन: प्यार का हार्मोन
ऑक्सीटोसिन को आमतौर पर 'लव हार्मोन' या 'कडल हार्मोन' कहा जाता है, क्योंकि यह हार्मोन तब रिलीज़ होता है जब हम किसी के साथ इमोशनल रूप से जुड़ते हैं। चाहे वह किसी से पहली बार मिलना हो, या किसी के साथ गहरी बातचीत करना, ऑक्सीटोसिन हमारे दिमाग में प्यार और स्नेह की भावना उत्पन्न करता है। यह हार्मोन हमारे शरीर में सुकून और खुशी का एहसास भी कराता है। जब हम किसी को देखते हैं और उनके प्रति एक सकारात्मक भावना महसूस करते हैं, तो ऑक्सीटोसिन रिलीज़ होता है, और यह हमें उस व्यक्ति के साथ जुड़ने का अहसास कराता है।यह हार्मोन सिर्फ रोमांटिक रिश्तों तक सीमित नहीं होता। इसका प्रभाव हमारी पारिवारिक और दोस्ती संबंधों में भी होता है। ऑक्सीटोसिन का मुख्य काम है, सामाजिक बंधन को मजबूत करना और हमें दूसरों के प्रति दयालु और संवेदनशील बनाना। यही कारण है कि जब हम प्यार में होते हैं, तो हम अधिक समझदार और भावनात्मक रूप से सक्षम महसूस करते हैं। इसके कारण हम दूसरों की भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं, जिससे हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं। यही वह समय होता है जब हम महसूस करते हैं कि हम एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं और यह जुड़ाव समय के साथ गहरा होता जाता है।
ऑक्सीटोसिन कहां से आता है?
ऑक्सीटोसिन का उत्सर्जन हमारे दिमाग के हाइपोथैलेमस से होता है, और फिर यह पिट्यूटरी ग्लैंड के माध्यम से पूरे शरीर में फैलता है। यह हार्मोन हमारे दिमाग और शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है, ताकि हम अपने रिश्तों को बेहतर बना सकें। यह हार्मोन खास तौर पर गले लगाने, हाथ मिलाने या किसी से गहरे इमोशनल संवाद करने पर रिलीज़ होता है। जब हम किसी के साथ सहज और सुकून महसूस करते हैं, तो यह हार्मोन हमारी भावनाओं को और भी बढ़ा देता है।ऑक्सीटोसिन की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह तनाव को कम करता है और शांति का अहसास कराता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो यह हार्मोन हमें शांत करता है और हमारे शरीर के तनाव को कम करता है, जिससे हम अधिक संतुलित और स्थिर महसूस करते हैं। यह किसी भी भावनात्मक स्थिति में, जैसे कि दुख, चिंता या तनाव, हमें आराम देने का काम करता है। यह हमें मानसिक और शारीरिक रूप से एक दूसरे के करीब लाने में मदद करता है। यही कारण है कि जब हम किसी से प्यार करते हैं, तो यह हार्मोन हमें एक नई ऊर्जा और उत्साह का अहसास कराता है।
ऑक्सीटोसिन का प्रभाव
ऑक्सीटोसिन का प्रभाव केवल हमारे भावनाओं पर नहीं, बल्कि यह हमारी मानसिक स्थिति और व्यवहार पर भी गहरा असर डालता है। इसके प्रभाव पर कई शोध किए गए हैं, जिनमें एक प्रमुख शोध टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं, जुनपेई ताकाहाशी और प्रोफेसर अकियोशी साईतोश द्वारा किया गया था। इस शोध ने यह साबित किया कि ऑक्सीटोसिन हमारे दिमाग में याददाश्त और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है। यह शोध खासतौर पर उन बीमारियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनमें दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जैसे डिमेंशिया और अल्जाइमर।इन शोधों में यह भी पाया गया कि ऑक्सीटोसिन मस्तिष्क के ऐसे हिस्सों को सक्रिय करता है, जो याददाश्त और भावनाओं से जुड़े होते हैं। इससे यह साफ हुआ कि ऑक्सीटोसिन हमारी मानसिक क्षमताओं को प्रभावित कर सकता है। यह केवल हमारे भावनात्मक संबंधों को मजबूत करने का काम नहीं करता, बल्कि यह मानसिक क्षमताओं को भी बनाए रखता है। अगर हम इसे डिमेंशिया जैसी बीमारियों में इस्तेमाल करें, तो यह दिमाग के कार्यों में सुधार कर सकता है और हमें मानसिक स्थिति में बेहतर बना सकता है।
डिमेंशिया और अल्जाइमर के इलाज में संभावनाएं
ऑक्सीटोसिन पर किए गए शोध से यह भी सामने आया कि यह डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसे मस्तिष्क विकारों के उपचार में सहायक हो सकता है। हालिया शोध में यह पाया गया कि ऑक्सीटोसिन का उपयोग मस्तिष्क की याददाश्त में सुधार करने में किया जा सकता है। इसके अलावा, जब किसी व्यक्ति को अकेलापन महसूस होता है, तो यह स्थिति डिमेंशिया के लक्षणों को और बढ़ा सकती है। ऐसे में ऑक्सीटोसिन इस समस्या को भी हल करने में मदद कर सकता है।
नशे के उपचार में ऑक्सीटोसिन का उपयोग
ऑक्सीटोसिन का उपयोग केवल मानसिक विकारों में नहीं, बल्कि यह नशे के उपचार में भी सहायक हो सकता है। डॉ. मेरिडिथ बेरी का कहना है कि ऑक्सीटोसिन का उपयोग ओपिओइड नशों के उपचार में किया जा सकता है। ओपिओइड दर्द निवारक दवाएं हैं, जिनका सेवन लंबे समय तक नशे का कारण बन सकता है। ऑक्सीटोसिन इन दवाओं के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है और नशे के खतरे को नियंत्रित कर सकता है। प्यार का आरंभ एक नज़र से होता है, और इसका वैज्ञानिक आधार भी है। ऑक्सीटोसिन जैसे हार्मोन हमारे शरीर में सकारात्मक भावनाओं को उत्पन्न करते हैं और हमें एक-दूसरे के साथ जुड़ने का अहसास कराते हैं। यह हार्मोन न केवल रोमांटिक रिश्तों में, बल्कि दोस्ती और परिवार के रिश्तों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्यार का विज्ञान यह साबित करता है कि जब हम किसी को देखते हैं और उनसे भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं, तो यह एक प्राकृतिक और जैविक प्रक्रिया है जो हमें एक-दूसरे के करीब लाती है
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