उत्तर प्रदेश की राजनीति में कानून-व्यवस्था का घमासान योगी बनाम अखिलेश की सियासी जंग

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कानून-व्यवस्था का घमासान योगी बनाम अखिलेश की सियासी जंग


 उत्तर प्रदेश की राजनीति में कानून-व्यवस्था का घमासान योगी बनाम अखिलेश की सियासी जंग

उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों एक बार फिर गरमा गई है। लोकसभा चुनाव 2024 में अपेक्षा के विपरीत प्रदर्शन और समाजवादी पार्टी के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन के बढ़ते प्रभाव के बाद भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की राजनीति को ‘कानून-व्यवस्था’ के मुद्दे पर केंद्रित कर दिया है। मुख्यमंत्री हर मंच से समाजवादी पार्टी के शासनकाल को ‘गुंडाराज’ और ‘माफियाराज’ बताकर जनता को यह याद दिलाने में जुटे हैं कि अगर 2027 में सत्ता समाजवादियों के हाथ में चली गई, तो प्रदेश फिर से अराजकता की आग में झुलस जाएगा।वहीं दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सरकार के इन दावों को सिरे से खारिज कर रहे हैं और पलटवार करते हुए भाजपा को ही ‘सबसे बड़ी माफिया पार्टी’ करार दे रहे हैं। वह योगी सरकार से टॉप-20 माफियाओं की सूची सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं और यह आरोप लगा रहे हैं कि सरकार केवल विपक्षी वर्ग, खासकर पीडीए से जुड़े लोगों को ही टारगेट कर रही है।

योगी की रणनीति: 'बेटी-बचाओ, व्यापारी-सम्भालो' से पीडीए को साधो

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा सरकार में प्रदेश सुरक्षित हुआ है, अपराधियों की कमर तोड़ दी गई है और बेटियों से लेकर व्यापारियों तक सभी को सुरक्षा का अहसास हो रहा है। वे दावा करते हैं कि उनके शासन में माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे अपराधियों का खात्मा हो चुका है। बुलडोजर कार्यवाही और एनकाउंटर की सख्ती से अपराधियों में डर है और कानून-व्यवस्था पहले से कहीं बेहतर है।मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, "आज की यूपी दंगा मुक्त है, बेटियां सुरक्षित हैं, व्यापारी सम्मानित हैं और निवेशक आकर्षित हो रहे हैं। यही रामराज्य की दिशा है।" इसके समर्थन में योगी सरकार यह भी बता रही है कि पुलिस मुठभेड़ों में अब तक 280 से अधिक दुर्दांत अपराधियों को मारा गया है और हजारों को जेल भेजा गया है। इसके अलावा ₹40 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं और कई बड़ी कंपनियां यूपी में अपना प्लांट लगा रही हैं। 'एक जिला, एक उत्पाद' जैसी योजनाओं से स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिल रहा है।हाल ही में मुख्यमंत्री ने व्यापारियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। दुर्घटना में मौत होने पर व्यापारी परिवार को ₹10 लाख की सहायता दी जाती है और हर जिले में व्यापारी सुरक्षा फोरम सक्रिय रूप से काम कर रहा है।

सपा का पलटवार: ‘टॉप माफिया की सूची दो, वरना चुप रहो’

मुख्यमंत्री के इन दावों पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि भाजपा खुद सबसे बड़ी माफिया पार्टी है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि यदि आप माफियाओं पर कार्रवाई कर रहे हैं, तो फिर आज तक टॉप-20 माफियाओं की सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की गई? अखिलेश ने गोरखपुर, लखनऊ, इटावा, मैनपुरी, कानपुर, मिर्जापुर और वाराणसी जैसे जिलों में टॉप-10 माफियाओं की सूची जारी करने की मांग की और कहा कि जनता को पता चलना चाहिए कि सरकार किसके खिलाफ कार्रवाई कर रही है और किसे बचा रही है अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "जो दूसरों पर आरोप लगाते हैं, वो आईना देखना बंद कर दें। जनता जानती है कि असली माफिया कौन है।"

कानून-व्यवस्था पर सवाल: पत्रकार असुरक्षित, व्यापारी परेशान

लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में एक महिला पत्रकार के साथ छेड़खानी की घटना को लेकर भी सपा ने योगी सरकार की जमकर आलोचना की है। अखिलेश यादव ने कहा कि जब एक पत्रकार तक सुरक्षित नहीं है, तो आम महिलाओं की क्या स्थिति होगी? उन्होंने सरकार से मांग की कि भगवा कपड़ा पहनकर माफियागिरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।व्यापारी वर्ग को लेकर भी सपा हमलावर है। अखिलेश ने दावा किया है कि पिछले एक साल में 35 हजार MSME इकाइयाँ बंद हुई हैं। उनका आरोप है कि जीएसटी और टैक्स सिस्टम व्यापारियों को परेशान करने का नया तरीका बन गया है। अधिकारी टारगेट तय कर व्यापारियों पर छापे मारते हैं और उन्हें आर्थिक रूप से तबाह कर देते हैं।

भाजपा की दोहरी नीति का आरोप

सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा के लोग खुद माफिया जैसे काम कर रहे हैं और विपक्ष को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "अगर आप माफियाओं की लिस्ट नहीं जारी कर सकते तो कम से कम जिला स्तर पर टॉप 10 अपराधियों की लिस्ट ही बता दीजिए। सरकार की नीयत में खोट है।" उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आज तक एक स्थायी DGP तक नियुक्त नहीं कर सकी है, जिससे साफ है कि कानून-व्यवस्था केवल भाषणों तक सीमित है।

राजनीति की नई धुरी: माफिया, व्यापारी और महिला सुरक्षा

आगामी 2027 विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और सपा दोनों ही अपने-अपने एजेंडे के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं। योगी सरकार जहां अपराध, कानून-व्यवस्था और निवेश को अपनी ताकत मानती है, वहीं सपा ‘असली पीडीए’ यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को लामबंद करने के साथ-साथ व्यापारी वर्ग और महिलाओं के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है।सपा नेताओं का मानना है कि जिस तरह से सरकार सिर्फ विपक्षी कार्यकर्ताओं को टारगेट कर रही है, उससे जनसंपर्क में नाराजगी बढ़ रही है। वहीं भाजपा का तर्क है कि प्रदेश में अब किसी को अपराध करने की छूट नहीं है और अगर कार्रवाई हो रही है, तो वह कानून के तहत हो रही है।

गोरखपुर कॉरिडोर: सरकार की मंशा पर सवाल

गोरखपुर में चल रहे हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना को लेकर भी सपा ने सवाल उठाए हैं। अखिलेश यादव ने दावा किया कि लोगों पर दबाव डालकर जमीनें ली जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह हेरिटेज कॉरिडोर नहीं, बल्कि हिरासत कॉरिडोर बनता जा रहा है। हालांकि सरकार ने इस पर सफाई दी है कि प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और कोर्ट के आदेश के अनुसार ही भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है।

चुनावी रणभूमि में कानून-व्यवस्था बना मुख्य शस्त्र

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कानून-व्यवस्था का मुद्दा कोई नया नहीं है, लेकिन 2027 विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा पहले से अधिक धारदार हो गया है। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने शासनकाल को ‘रामराज्य’ की दिशा में बढ़ता बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव उनके इसी शासन को ‘तानाशाही’ और ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दे रहे हैं।अखिलेश यादव यह बार-बार दोहरा रहे हैं कि असली पीडीए समाजवादियों ने बनाया है और भाजपा केवल उसे तोड़ने की साजिश कर रही है। वहीं भाजपा ‘एकजुटता’ और ‘सुरक्षा’ के मुद्दे को उभारकर वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।साफ है कि आने वाले महीनों में माफिया, व्यापार, महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे यूपी की राजनीति में प्रमुख बने रहेंगे। जनता किसे ‘सच्चा रक्षक’ मानती है, इसका फैसला 2027 में होगा। लेकिन इतना तो तय है कि माफिया और कानून का यह राजनीतिक युद्ध अब रुकने वाला नहीं है। और जब तक जनता को इन सवालों के जवाब नहीं मिल जाते, तब तक यह लड़ाई और भी तेज होती जाएगी।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ