देश के बड़े राजनीतिक दलों में अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया: बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी और अन्य




देश के बड़े राजनीतिक दलों में अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया: बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी और अन्य

अगस्त के अंत तक, भारतीय राजनीति में दो प्रमुख दलभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी)अपने नए अध्यक्षों का चुनाव करने की प्रक्रिया में हैं। लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद इन पार्टियों में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं गर्म हैं। वर्तमान में बीएसपी की अध्यक्ष मायावती हैं, जबकि बीजेपी की अध्यक्षता जेपी नड्डा के पास है। दोनों पार्टियों को अपेक्षित चुनावी परिणाम नहीं मिलने के कारण नेतृत्व में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।इन चर्चाओं को ध्यान में रखते हुए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि प्रमुख भारतीय राजनीतिक पार्टियों में अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है और उनके संविधान में इस पद से संबंधित क्या नियम और प्रक्रियाएं निर्धारित हैं।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)

भारतीय जनता पार्टी का संविधान अनुच्छेद-19 अध्यक्ष पद और उसके चुनाव की प्रक्रिया का विवरण प्रदान करता है। बीजेपी में अध्यक्ष का चुनाव मुख्यतः सर्वसम्मति से किया जाता है, जो कि पार्टी के ऐतिहासिक रिकॉर्ड को दर्शाता है। यदि सर्वसम्मति संभव नहीं हो पाती है, तो चुनाव प्रक्रिया का पालन किया जाता है। अध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है, और चुनाव की प्रक्रिया की जिम्मेदारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर होती है।पार्टी के संविधान के अनुसार, अध्यक्ष बनने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 15 वर्षों का प्राथमिक सदस्य होना चाहिए या चार अवधियों तक सक्रिय सदस्य के रूप में रहना चाहिए। एक सक्रिय सदस्य की अवधि तीन साल की होती है। इसके अतिरिक्त, अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक निर्वाचक मंडल के 20 सदस्यों का समर्थन आवश्यक होता है, और यह प्रस्ताव कम से कम 5 राज्यों से प्राप्त होना चाहिए।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अध्यक्ष का चुनाव भी दो तरीकों से किया जा सकता है: सर्वसम्मति से या चुनाव के माध्यम से। वर्तमान में मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने चुनाव के माध्यम से यह पद प्राप्त किया था। कांग्रेस के संविधान के अनुच्छेद-18 में अध्यक्ष पद और उसके चुनाव की प्रक्रिया का उल्लेख है। अध्यक्ष का चुनाव कांग्रेस सेंट्रल इलेक्शन ऑथोरिटी द्वारा कराए जाते हैं, और केवल अधिकृत डेलिगेट्स ही मतदान में भाग ले सकते हैं। अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार को 10 प्रस्तावकों का समर्थन प्राप्त करना अनिवार्य होता है। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, रिटर्निंग ऑफिसर हर राज्य में बैलेट बॉक्स भेजते हैं, जहां डेलिगेट्स मतदान करते हैं। अंततः, 50 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त करने वाला उम्मीदवार अध्यक्ष के रूप में घोषित किया जाता है। कांग्रेस अध्यक्ष को पार्टी की सर्वोच्च इकाई कांग्रेस कार्यसमिति में 12 सदस्य नियुक्त करने का अधिकार होता है, जो कि महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लेते हैं।

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी)

बहुजन समाज पार्टी के संविधान के अनुच्छेद-4 में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के बारे में जानकारी दी गई है। बीएसपी में अध्यक्ष पद संगठन का सबसे प्रमुख पद माना जाता है। अनुच्छेद 4 (8) के अनुसार, पार्टी के 10 हजार पदाधिकारियों के बीच सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना जा सकता है, या इस पद के लिए मतदान कराया जा सकता है। पार्टी की स्थापना के समय कांशीराम इसके अध्यक्ष थे। 2001 में, कांशीराम ने मायावती को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया था। 2003 में, मायावती को पार्टी की केंद्रीय आम सभा की बैठक में निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद, उन्होंने 2006 में दूसरी बार अध्यक्ष पद ग्रहण किया और तब से हर साल उन्हें निर्विरोध चुने जाने की सूचनाएं मिलती रही हैं।

आम आदमी पार्टी (आप)

आम आदमी पार्टी, जो 2012 में गठित हुई थी, ने अध्यक्ष के स्थान पर संयोजक का पद स्थापित किया है। पार्टी के संविधान के अनुच्छेद-5 में इस पद का उल्लेख है। आप में अब तक संयोजक का चुनाव सर्वसम्मति से किया गया है। संयोजक के नाम की पुष्टि राष्ट्रीय कार्यकारिणी करती है, जिसमें 30 से अधिक सदस्य होते हैं।

क्षेत्रीय पार्टियों में अध्यक्ष पद

भारतीय क्षेत्रीय पार्टियों में अध्यक्ष की कुर्सी अक्सर पारिवारिक सदस्य के पास रहती है। उदाहरण के लिए, समाजवादी पार्टी (सपा) में 2017 में मुलायम सिंह यादव की जगह उनके बेटे अखिलेश यादव को पार्टी का मुखिया बनाया गया। आरजेडी में स्थापना के बाद से लालू यादव अध्यक्ष बने हुए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा में शिबू सोरेन का लंबे समय से अध्यक्ष पद पर होना जारी है।

तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के बाद से ममता बनर्जी इस पार्टी की अध्यक्ष हैं। जनतादल (यूनाइटेड) में नीतीश कुमार ने बीच-बीच में अध्यक्ष की कुर्सी को राष्ट्रीय परिषद की बैठक के माध्यम से ट्रांसफर किया है, लेकिन महत्वपूर्ण फैसले वे ही लेते रहे हैं। इस प्रकार, भारतीय राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष पद का चुनाव और नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रियाएं विभिन्न प्रकार की हैं, जो पार्टी के संविधान और नियमों पर निर्भर करती हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ