ऑपरेशन सिंदूर पर सियासी संग्राम ‘सरेंडर’ बनाम ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की सियासत गरमाई

ऑपरेशन सिंदूर पर सियासी संग्राम ‘सरेंडर’ बनाम ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की सियासत गरमाई


 ऑपरेशन सिंदूर पर सियासी संग्राम ‘सरेंडर’ बनाम ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की सियासत गरमाई

भारत-पाक सीमा पर अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। एक ओर केंद्र सरकार इसे आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई बता रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष इस पूरे ऑपरेशन पर सवालों की झड़ी लगा रहा है। खासकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार से यह जानने की मांग की है कि इस ऑपरेशन में भारत ने कितने लड़ाकू विमान गंवाए और आखिर क्यों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस सीजफायर की घोषणा करनी पड़ी। इस बयानबाजी के जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहे हैं और सेना के शौर्य पर सवाल उठाकर उसका मनोबल गिरा रहे हैं।

तेलंगाना के निज़ामाबाद में हल्दी बोर्ड के राष्ट्रीय मुख्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान की हालत देखकर ही साफ हो जाता है कि भारत ने क्या किया है। उन्होंने कहा कि जो आतंकी कहते थे कि भारत को चैन से नहीं सोने देंगे, उनके हेडक्वार्टर को हमारे नेता नरेंद्र मोदी ने ध्वस्त कर दिया। शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का अंदाजा पाकिस्तान की प्रतिक्रिया से लगाया जा सकता है, जो अगले ही दिन सीजफायर की गुहार लगाने लगा।

कांग्रेस ने इस ऑपरेशन पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने पूछा कि आखिर पाकिस्तान को पहले से कैसे पता चल गया कि भारत हमला करने वाला है? उन्होंने कहा कि यह कोई चूक नहीं बल्कि एक अपराध है और देश को इसकी सच्चाई जानने का हक है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा था कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चुप्पी महज कूटनीतिक मौन नहीं बल्कि एक निंदनीय कायरता है। कांग्रेस ने यहां तक कहा कि जब भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह कर रही थी, तो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद सोशल मीडिया पर सीजफायर की घोषणा कैसे कर दी? क्या भारतीय संप्रभुता अब व्हाइट हाउस से निर्देशित होगी?

ऑपरेशन सिंदूर की बात करें तो इसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 9 से अधिक ठिकानों को ध्वस्त किया। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के जरिए उनके 12 में से 11 एयरबेस को टारगेट किया। सैन्य सूत्रों के अनुसार इस कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा और अगले ही दिन उन्होंने भारत से संपर्क कर सीजफायर की अपील की। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने पूछा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात थे तो अमेरिका इसमें मध्यस्थ कैसे बन गया?

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को सबूत की जरूरत नहीं है, उन्हें पाकिस्तान की हालत देखकर ही समझ लेना चाहिए कि ऑपरेशन कितना सफल रहा। उन्होंने कहा कि भारत की वायुसेना ने 100 किलोमीटर अंदर घुसकर पाकिस्तान को सबक सिखाया और पूरी दुनिया इसकी तारीफ कर रही है। उन्होंने कांग्रेस के ‘नरेंद्र सरेंडर’ जैसे पोस्टरों पर तीखा तंज कसा और कहा कि जिनके राज में आतंकी दिल्ली तक घुस जाते थे, वे आज सेना के पराक्रम पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी राजनीति करनी है तो करे, लेकिन सेना के शौर्य का अपमान न करे।

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर को अमेरिकी दबाव में अचानक रोका गया। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसी संप्रभुता संपन्न राष्ट्र की सैन्य रणनीति को अमेरिका जैसी विदेशी शक्ति निर्देशित करे। कांग्रेस ने कहा कि यह पहली बार है जब भारतीय सेना के एक्शन के बाद उसकी पुष्टि भारत सरकार की बजाय अमेरिका के राष्ट्रपति ने की हो। उन्होंने पूछा कि आखिर भारत की विदेश नीति इतनी कमजोर क्यों हो गई कि निर्णय वाशिंगटन से आ रहे हैं?सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान को ऑपरेशन की सूचना उसे अंजाम दिए जाने के पांच मिनट बाद दी गई थी। उन्होंने कहा कि यह एक पूर्व नियोजित सैन्य रणनीति थी जिसे अत्यंत गोपनीयता के साथ अंजाम दिया गया। साथ ही यह भी बताया गया कि भारतीय नौसेना पूरी तरह तैयार थी और पाकिस्तानी समुद्री ठिकानों को भी टारगेट किया गया था, लेकिन आर्डर वापस ले लिया गया।

इस पूरे घटनाक्रम से एक बात स्पष्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं रहा, यह अब एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। भाजपा इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक और सैन्य सफलता बता रही है जबकि कांग्रेस इसमें अमेरिका के हस्तक्षेप को लेकर मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठा रही है। खास बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर भी इस मुद्दे पर मतभेद उभर आए हैं। वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भले ही मोदी की वैश्विक छवि की तारीफ की हो लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। भाजपा ने थरूर के इस बयान को राहुल गांधी के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया है।

इस बीच तेलंगाना में हल्दी बोर्ड के उद्घाटन को लेकर भी सियासी संदेश देने की कोशिश की गई है। तेलंगाना में हल्दी किसानों की लंबे समय से मांग थी कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले और भाजपा ने इसे चुनावी मौके की तरह इस्तेमाल किया। अमित शाह ने इस मंच से जहां राहुल गांधी पर हमला बोला, वहीं नक्सलवादियों को भी स्पष्ट संदेश दिया कि हथियार छोड़ो, नहीं तो सरकार कोई नरमी नहीं दिखाएगी।साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर अब देश की सीमाओं से निकलकर सियासत के केंद्र में आ गया है। आने वाले चुनावों में यह मुद्दा न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में गूंजेगा, बल्कि इसके जरिए देश की जनता को यह भी तय करना होगा कि वह शौर्य पर सवाल उठाने वालों के साथ है या उसे निर्णायक जवाब देने वालों के साथ। यह युद्ध अब सिर्फ सीमा पर नहीं, संसद और जनसभा में भी लड़ा जा रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ