हरियाणा में दलबदलुओं के साथ बीजेपी की नई ताकत: क्या कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी?



हरियाणा में दलबदलुओं के साथ बीजेपी की नई ताकत: क्या कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ेंगी?

हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2024 ने भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ दिया है। 2019 के मुकाबले बीजेपी की सीटों में जबरदस्त कमी आई है, जिससे राजनीतिक विश्लेषकों ने कांग्रेस के लिए नए अवसर देखे हैं। हालांकि, बीजेपी ने अपनी रणनीति और राजनीतिक चालों से स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस का रास्ता आसान नहीं होगा। इस लेख में हम समझने की कोशिश करेंगे कि बीजेपी ने अपनी स्थिति को कैसे मजबूत किया है और कांग्रेस को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

दलबदलुओं का असर

हरियाणा की राजनीति में दलबदलुओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने शासन काल में कई प्रमुख नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया है। 2014 और 2019 के चुनावों में भी दलबदलुओं ने बीजेपी की ताकत को बढ़ाया था। हाल ही में, भजनलाल, बंसीलाल, और देवीलाल परिवारों के नेताओं ने बीजेपी में शामिल होकर पार्टी को नई दिशा दी है।

भजनलाल परिवार के कुलदीप बिश्नोई, उनकी मां, पत्नी, और बेटा सभी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। बंसीलाल की बहू किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी भी बीजेपी में महत्वपूर्ण पदों पर हैं। किरण चौधरी को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है, और उनका कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होना पार्टी के लिए एक बड़ा लाभ हो सकता है। बंसीलाल परिवार का जाट समुदाय पर गहरा प्रभाव है, और इससे बीजेपी को कई महत्वपूर्ण सीटों पर फायदा मिल सकता है।

जेजेपी के बागी विधायक, जैसे कि नरवाना के रामनिवास सुरजाखेड़ा और बरवाला के जोगी राम सिहाग, बीजेपी में शामिल होने की संभावना को लेकर समर्थन दिखा रहे हैं। इसके अलावा, नारनौल के विधायक राम कुमार गौतम, उकलाना के विधायक अनूप धानक, टोहाना के विधायक देवेंद्र सिंह बबली, और गुहला के विधायक ईश्वर सिंह ने अभी तक अपने अगले कदम की घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके बीजेपी में शामिल होने की संभावना है।

जिंदल परिवार के नवीन जिंदल और सावित्री जिंदल भी कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं। नवीन जिंदल को लोकसभा टिकट मिलने के बाद उनकी उपयोगिता साबित हो गई है। विधानसभा चुनावों में भी उनकी प्रभावी भूमिका हो सकती है।


आम आदमी पार्टी और जेजेपी के अलग चुनाव लड़ने का प्रभाव

हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं, और सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 46 सीटें जीतनी होती हैं। लोकसभा चुनावों के परिणामों के आधार पर बीजेपी को 44 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली है, जबकि कांग्रेस को 42 सीटों पर और आम आदमी पार्टी (AAP) को 4 सीटों पर बढ़त मिली है।

आम आदमी पार्टी और जेजेपी के अलग-अलग चुनाव लड़ने से एंटी-बीजेपी वोटों का बंटवारा होगा, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है। यदि दोनों पार्टियाँ अलग-अलग चुनाव लती हैं, तो यह संभावना है कि कांग्रेस के एंटी-बीजेपी वोट भी बंट जाएंगे, जिससे बीजेपी को कई अतिरिक्त सीटें मिल सकती हैं। जेजेपी के अलग चुनाव लड़ने से भी एंटी-बीजेपी वोटों के बंटने की संभावना है, जिससे बीजेपी को लाभ हो सकता है।

एंटी-जाट सेंटिमेंट

हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन ने कई जातियों के बीच तनाव को बढ़ा दिया था। इस आंदोलन के दौरान पंजाबी हिंदुओं और पिछड़ी जातियों पर हमलों की घटनाओं ने बीजेपी को एक नया वोटबैंक दिया है। बीजेपी ने राज्य की बागडोर पंजाबी नेता मनोहर लाल खट्टर को सौंपकर पंजाबी समुदाय को अपनी ओर आकर्षित किया है।

राज्य की 30% आबादी ओबीसी समुदाय की है, जबकि 25% जाट और 20% अनुसूचित जाति (एससी) के लोग हैं। पंजाबी समुदाय भी राज्य में 9% के करीब है। बीजेपी ने इन समुदायों को विशेष रियायतें प्रदान की हैं, जिससे पार्टी को चुनावी लाभ मिल सकता है। ओबीसी और अन्य जातियों के लिए लागू की गई योजनाएं, जैसे कि पेंशन और बीपीएल परिवारों के लिए योजनाएं, बीजेपी को सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से वोट हासिल करने में मदद कर रही हैं।

सरकारी योजनाओं का प्रभाव

मनोहर लाल खट्टर और नायब सिंह सैनी की सरकार ने गरीबों के लिए कई लुभावनी योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं में आवास, मुफ्त परिवहन, मुफ्त शिक्षा, और मुफ्त इलाज जैसी सुविधाएं शामिल हैं। हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना परिवार पहचान पत्र के अनुसार, राज्य की 63% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।

बीपीएल कार्ड धारकों की आय सीमा बढ़ाकर सरकार ने अधिक परिवारों को इन योजनाओं का लाभ उठाने का अवसर दिया है। इसी तरह, वृद्धावस्था पेंशन की आय सीमा को भी बढ़ाया गया है, जिससे अधिक लोग इसका लाभ ले सकते हैं। इन योजनाओं से बीजेपी की सामाजिक कल्याण नीतियों को समर्थन मिल रहा है, जो चुनावी लाभ के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

हरियाणा की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर की स्थिति बनी हुई है। दलबदलुओं की भूमिका, आम आदमी पार्टी और जेजेपी के अलग चुनाव लड़ने की संभावना, एंटी-जाट सेंटिमेंट, और सरकारी योजनाओं का लाभ बीजेपी को राज्य में एक मजबूत स्थिति प्रदान कर सकता है।

कांग्रेस को बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने और राज्य में अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करने के लिए कई संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी की रणनीति और सामाजिक योजनाएं उसे चुनावी सफलता दिला सकती हैं, जबकि कांग्रेस को अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए अपने प्रयासों को और तेज करना होगा।

हरियाणा की राजनीति में यह समय निर्णायक हो सकता है, जहां बीजेपी अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी, और कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए नई रणनीतियाँ अपनाएगी। चुनावी माहौल में आने वाले दिनों में बदलाव की संभावना बनी हुई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी की रणनीति अधिक प्रभावी साबित होती है।

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