
हरियाणा के चुनावी दंगल: विनेश फोगाट की चुनौती और बीजेपी की मुद्दों की तलाश
हरियाणा विधानसभा के चुनावी मैदान में इस बार कई दिलचस्प मोड़ देखने को मिल रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों ने अपनी ताकतवर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, लेकिन चुनावी समीकरणों के मुताबिक, बीजेपी की राह आसान नहीं दिख रही है। इसका मुख्य कारण है पार्टी के 12 से ज्यादा पूर्व विधायकों का नाराज होना, जिन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं, कांग्रेस के भी कई विधायक टिकट ना मिलने की वजह से नाराजगी जता रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने भी चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए 20 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं और कांग्रेस के साथ गठबंधन खत्म करने की घोषणा की है।इस बार का चुनाव हरियाणा के जुलाना सीट को लेकर खास चर्चा में है, जहां कांग्रेस ने प्रसिद्ध पहलवान विनेश फोगाट को उम्मीदवार बनाया है। विनेश फोगाट, जो अपनी पहलवानी के लिए विश्व भर में मशहूर हैं, अब सियासी दंगल में उतर चुकी हैं। जुलाना क्षेत्र, जो हरियाणा के जींद जिले में आता है, विनेश की शादी इसी क्षेत्र के बख्ता खेड़ा गांव में हुई थी। इस क्षेत्र में उनकी जड़े गहरी हैं, लेकिन चुनावी जंग आसान नहीं होने वाली है।
जुलाना सीट: कांग्रेस के लिए चुनौती
जुलाना सीट पर कांग्रेस की स्थिति पिछले 15 वर्षों से कमजोर रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, कभी इस सीट को जीतने में सफल नहीं हो पाए। यह सीट चौटाला परिवार के पास रही है, जिसमें दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने पिछले चुनावों में कब्जा किया था। इससे पहले, यह सीट ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी आईएनएलडी के पास रही थी। अब जेजेपी ने यहां से सिटिंग एमएलए अमरजीत ढांडा को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने अभी तक जुलाना से अपने उम्मीदवार का नाम नहीं घोषित किया है।
जाट वोटर्स और खाप पंचायतों का असर
जुलाना सीट जाट वोटर्स का गढ़ मानी जाती है, जहां लगभग 50 प्रतिशत वोटर जाट हैं। हरियाणा में कुल जाट आबादी 22 प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन जुलाना में जाट वोटर्स की बहुलता इस सीट को खास बनाती है। विनेश फोगाट की पहचान और उनके जाट समुदाय से जुड़ाव कांग्रेस के लिए एक बड़ा फायदा हो सकता है। यदि विनेश जुलाना सीट पर जीत दर्ज करती हैं, तो यह कांग्रेस के लिए हरियाणा में एक नई लहर पैदा कर सकती है। दूसरी ओर, अगर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ता है, तो यह पार्टी के लिए आगामी चुनावों में मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
बीजेपी की चुनौतियां और बृजभूषण शरण सिंह
बीजेपी की चुनावी रणनीति जटिल होती जा रही है, खासकर बृजभूषण शरण सिंह के विवादों के चलते। बृजभूषण शरण सिंह, जो कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं, पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने कई महिला पहलवानों के साथ दुष्कर्म किया है। इन आरोपों के खिलाफ विनेश फोगाट और अन्य महिला पहलवान खड़ी हैं। बीजेपी के लिए यह मुद्दा गंभीर बन चुका है, क्योंकि इससे पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है और वोटर बेस में गिरावट आ सकती है।
हरियाणा में बीजेपी की रणनीति और मुद्दे
हरियाणा में बीजेपी की स्थिति को लेकर एक बड़ी समस्या यह है कि यहाँ पोलराइजेशन का कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। हरियाणा में मुस्लिम आबादी कम है और बीजेपी की कोशिश है कि वह राज्य में किसी बड़े विवादास्पद मुद्दे को हवा देकर अपना लाभ उठाए। लेकिन, राज्य में ऐसा कोई लोकल मुद्दा नहीं उभर पा रहा है जो बीजेपी की स्थिति को मजबूत कर सके।बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में भी अपने राजनीतिक दांव खेले हैं। पार्टी ने जम्मू रीजन में 35 सीटें जीतने का टारगेट रखा है, जबकि कश्मीर घाटी में 10 सीटें जीतने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम आबादी की बढ़ती संख्या और अन्य राजनीतिक समीकरण बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
बीजेपी की सदस्यता वृद्धि और मुस्लिम वोटर्स
बीजेपी ने मुसलमानों को अपनी सदस्यता में शामिल करने के लिए कई उपाय किए हैं। दिल्ली के निजामुद्दीन दरगाह के बाहर आयोजित सदस्यता अभियान में तेजी से मुस्लिम महिलाओं की सदस्यता ली गई है। बीजेपी ने उन्हें उज्जवला गैस सिलेंडर, पीएम आवास, और तीन तलाक जैसे मुद्दों के जरिए लुभाने की कोशिश की है। नरेंद्र मोदी ने पार्टी को 28 करोड़ सदस्यों का लक्ष्य दिया है, जिसमें 10 करोड़ नए सदस्य शामिल करने की योजना है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए जुलाना सीट पर खास ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। कांग्रेस ने विनेश फोगाट को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है, जो कि बीजेपी और जेजेपी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश कर सकती हैं। बीजेपी की चुनावी रणनीति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि बृजभूषण शरण सिंह का विवाद और स्थानीय मुद्दों की कमी। इसके बावजूद, बीजेपी ने मुसलमानों को अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए कई उपाय किए हैं। आगामी चुनावी नतीजे हरियाणा की राजनीति के भविष्य को निर्धारित करेंगे।
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