आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा चूक पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए सख्त निर्देश
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डॉ. न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में चल रही गंभीर स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। इस आदेश में उन्होंने इमरजेंसी वार्ड में सीआईएसएफ (CISF) द्वारा सुरक्षा जांच को सख्त बनाने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर पीड़िता और उसके शव के फोटोग्राफ को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया है। यह कदम उस विवादास्पद घटना के संदर्भ में उठाया गया है जिसमें चिकित्सा सुविधाओं की कमी और सुरक्षा की समस्या प्रमुख मुद्दे बनकर उभरी हैं।सोमवार को, सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की मांगों पर ध्यान दिया। याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया कि सभी मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और किसी भी घटना की तुरंत सूचना के लिए अलार्म सिस्टम स्थापित किया जाए। इसके साथ ही, कॉलेज प्रबंधन को किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत एफआईआर दर्ज करने और पुलिस स्टेशन तक पहुंचने के साधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।
सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि वे इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं और इसके लिए रिपोर्ट भी पेश की। लेकिन सीजेआई ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए सवाल किया कि अगर 4447 सीसीटीवी कैमरे पहले से ही लगे हुए थे, तो फिर यह घटना कैसे घटी? उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की स्थिति पर भी सवाल उठाया और सरकार से स्पष्ट प्रगति की जानकारी मांगी।डॉक्टरों की वकील गीता लूथरा ने कोर्ट को सूचित किया कि सीनियर डॉक्टर ड्यूटी पर हैं, जबकि मेडिकल छात्र और जूनियर डॉक्टर सुरक्षा की चिंताओं के चलते हड़ताल पर हैं। लूथरा ने यह भी बताया कि जूनियर डॉक्टर सुरक्षित वातावरण की कमी के कारण अस्पताल के अंदर ड्यूटी करने को तैयार नहीं हैं और बाहर कैंप लगाकर काम करना चाहते हैं।
सीजेआई ने कहा कि डॉक्टरों को अपने काम पर लौट आना चाहिए, अन्यथा उन्हें दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वे डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और उनकी चिंताओं का समाधान करें। कोर्ट ने डॉक्टरों को मंगलवार शाम 5 बजे तक काम पर लौटने का समय दिया और किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश जारी किया।पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल के चलते अब तक 6 लाख लोग इलाज से वंचित हैं और इलाज के अभाव में 23 मरीजों की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों ने कोर्ट को बताया कि वे अभी भी डरे हुए हैं और उन्हें थ्रेट मिल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पुलिस को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि डॉक्टरों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए, और उन्हें काम पर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि उनके पास फोटोग्राफ हैं जिनमें छात्र पथराव कर रहे हैं। इस पर सीजेआई ने स्पष्ट किया कि दो दिन का समय दिया गया है और डॉक्टरों को काम पर लौटना होगा। यदि वे काम पर नहीं लौटते हैं, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदारी किसी पर नहीं डाली जा सकती।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने डॉक्टरों और सरकार के बीच चल रही तकरार को निपटाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता जताई है कि डॉक्टरों की सुरक्षा प्राथमिकता के आधार पर हल की जाए और समाज के प्रति डॉक्टरों के कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित किया जाए। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने न केवल अस्पताल के संचालन और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार की जिम्मेदारी को स्पष्ट किया है, बल्कि देशभर के चिकित्सा संस्थानों के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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