दिल्ली में झुग्गियों पर बुलडोजर केजरीवाल की सियासी वापसी या वोटबैंक की नई जंग?

दिल्ली में झुग्गियों पर बुलडोजर केजरीवाल की सियासी वापसी या वोटबैंक की नई जंग?

 दिल्ली में झुग्गियों पर बुलडोजर केजरीवाल की सियासी वापसी या वोटबैंक की नई जंग?

दिल्ली की सियासत इन दिनों एक बार फिर गर्माई हुई है। वजह है राजधानी की झुग्गियों पर चला प्रशासनिक बुलडोजर। लेकिन इस बार यह सिर्फ अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही नहीं रही, बल्कि इसके पीछे शुरू हो गई है एक ऐसी राजनीतिक लड़ाई, जो सीधे-सीधे आने वाले विधानसभा चुनावों पर असर डालने वाली है। खास बात यह है कि इस बार अरविंद केजरीवाल मैदान में कुछ बदले अंदाज़ में लौटे हैं। लोकसभा चुनाव में मिली हार और दिल्ली में पार्टी के कमजोर होते जनाधार के बाद अब केजरीवाल को मौका मिला है कि वो अपने कोर वोटबैंक को फिर से साध सकें, और यही वजह है कि झुग्गियों पर चली बुलडोजर कार्रवाई को उन्होंने जनता के साथ सीधा जोड़कर मुद्दा बना लिया है।दरअसल, दिल्ली सरकार की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए दिल्ली के विभिन्न इलाकों में अवैध झुग्गियों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। मद्रासी कैंप, तुर्कमान गेट, रेलवे ट्रैक किनारे और बरपुल्ला नाले जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में झुग्गियों पर बुलडोजर चला। रेखा गुप्ता ने दावा किया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कोर्ट के निर्देशानुसार है और पुनर्वास की योजना पहले से तैयार की गई है। लेकिन इसी कार्रवाई को लेकर आम आदमी पार्टी और खास तौर से अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार और दिल्ली की बीजेपी सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और जनसभाओं में साफ-साफ कहा कि "2024 के चुनाव से पहले मैंने चेताया था कि अगर बीजेपी की सरकार आती है तो ये झुग्गियों पर बुलडोजर चलाएंगे, और अब वही हो रहा है। ये झुग्गियों को पूरी तरह खत्म करने का इरादा लेकर आए हैं।" उनके इस बयान का मकसद साफ है दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोगों को अपने पक्ष में लामबंद करना। आंकड़े भी केजरीवाल के दावे को बल देते हैं। दिल्ली में कुल 675 झुग्गी बस्तियां हैं, जिनमें लगभग 3 लाख परिवार रहते हैं और ये बस्तियां 62 विधानसभा सीटों में फैली हुई हैं। इन सीटों पर झुग्गी वोटर लगभग 40 फीसदी हैं और इन्हीं वोटरों की बदौलत केजरीवाल ने पहले 2015 और फिर 2020 में धमाकेदार जीत दर्ज की थी।सीएसडीएस के आंकड़ों के अनुसार, 2015 में आम आदमी पार्टी को झुग्गियों से 66 फीसदी वोट मिले थे, वहीं 2020 में यह आंकड़ा 61 फीसदी रहा। लेकिन 2025 के लोकसभा चुनावों में तस्वीर बदली। सबसे अधिक झुग्गी आबादी वाली 10 विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी ने जीत दर्ज कर ली। यह आंकड़ा ही दिखाता है कि केजरीवाल का सबसे मज़बूत वोटबैंक अब खिसकने लगा है। और यही वजह है कि जैसे ही बुलडोजर झुग्गियों तक पहुंचे, केजरीवाल ने बिना समय गंवाए सियासी मोर्चा खोल दिया।

जनसभा में केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली की झुग्गियों में 40 लाख लोग रहते हैं। अगर ये सब एकजुट हो जाएं तो कोई सरकार उनकी झुग्गी नहीं गिरा सकती। आज गरीबों को डराया जा रहा है, उनके घरों को उजाड़ा जा रहा है। लेकिन मैं इनके साथ खड़ा हूं, और ये मेरी ताकत हैं।" साफ है कि केजरीवाल को यह मौका ऐसे समय मिला है जब AAP दिल्ली में अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए जूझ रही है। लोकसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल खुद अपनी परंपरागत सीट से हार गए। पार्टी की कई अहम सीटें बीजेपी के हाथ लग गईं और संगठन के भीतर लगातार असंतोष बढ़ रहा है।इस बीच आम आदमी पार्टी ने झुग्गी मुद्दे को लेकर जंतर-मंतर पर धरना दिया, जिसमें संजय सिंह, सौरभ भारद्वाज और संजीव झा जैसे नेता शामिल रहे। इन नेताओं का कहना था कि “जब झुग्गियों में वोट मांगने जाते हैं तो कहते हैं ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वादे भूल जाते हैं। आज बुलडोजर से गरीबों के सपने कुचले जा रहे हैं।”

दूसरी ओर बीजेपी ने भी केजरीवाल के आरोपों पर जोरदार जवाब दिया है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि "यह हारे हुए लोगों की नौटंकी है। केजरीवाल की टीम अराजकतावादी है, ये लोग संविधान का सम्मान नहीं करते। कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर हुई है और इसे रोकने की कोई साजिश नहीं चल रही है। पुनर्वास की प्रक्रिया भी जारी है, लेकिन केजरीवाल भ्रम फैलाकर लोगों को भड़काना चाहते हैं।”मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने तो यहां तक कह दिया कि “झुग्गियों को कोई हाथ नहीं लगाएगा, ये अफवाह फैलाने वाली पार्टी है। हम धारावी मॉडल की तर्ज़ पर दिल्ली में भी पुनर्विकास योजना लाने जा रहे हैं, ताकि गरीबों को बेहतर जीवन मिले। लेकिन केजरीवाल जनता को गुमराह कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी सियासत के लिए आग चाहिए।”

सवाल यह उठता है कि क्या वाकई केजरीवाल के इस मोर्चे से आम आदमी पार्टी को 2025 के विधानसभा चुनावों में फायदा होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि AAP के पास इस समय खोने को ज्यादा है, पाने को कम। लेकिन झुग्गी वोटर ही वह आखिरी सहारा है जिसके बल पर पार्टी फिर से उभर सकती है। यही वजह है कि बुलडोजर की एक कार्रवाई ने राजधानी में चुनावी सरगर्मी पैदा कर दी है।दिल्ली की राजनीति में झुग्गियों का वोट हमेशा से निर्णायक रहा है। मुफ्त बिजली-पानी, महिला बस यात्रा, मोहल्ला क्लीनिक, शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार जैसे तमाम योजनाएं खासतौर से इन्हीं लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई थीं। लेकिन अगर अब झुग्गियों को उजाड़ा जाएगा और उन्हें उनके घर से विस्थापित किया जाएगा, तो उस डर का लाभ लेना केजरीवाल बखूबी जानते हैं।

इस पूरी सियासी जंग में जनता दो खेमों में बंटी दिखाई दे रही है एक जो कोर्ट के आदेशों पर कार्रवाई को सही मानता है और दूसरा जो इसे गरीब विरोधी नीति के रूप में देखता है। लेकिन सच्चाई यह है कि झुग्गियों का मुद्दा अब सिर्फ आवास का नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है।अरविंद केजरीवाल के लिए यह मौका है खुद को दिल्ली की राजनीति में फिर से प्रासंगिक बनाने का। और बीजेपी के लिए यह चुनौती है कि वह विकास के नाम पर झुग्गियों को हटाते हुए वोटबैंक को नाराज़ न करे। सवाल बहुत हैं, जवाब आने वाले महीनों में मिलेंगे, लेकिन इतना तय है कि दिल्ली का यह दंगल अब झुग्गियों की गलियों में लड़ा जाएगा।

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