सीपी राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत, एनडीए की रणनीति और विपक्ष का संघर्ष उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की पूरी कहानी

सीपी राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत, एनडीए की रणनीति और विपक्ष का संघर्ष  उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की पूरी कहानी

  

सीपी राधाकृष्णन की ऐतिहासिक जीत, एनडीए की रणनीति और विपक्ष का संघर्ष  उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की पूरी कहानी


हिंदी ग्लोबल न्यूज़

भारत को अपना नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। 9 सितंबर 2025 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने शानदार जीत हासिल की। उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडिया के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराकर देश के 15वें उपराष्ट्रपति का पद हासिल किया। यह जीत न केवल एनडीए के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का भी प्रतीक है। सीपी राधाकृष्णन, जो तमिलनाडु की मिट्टी से निकले एक समर्पित नेता हैं, ने अपने लंबे राजनीतिक और सामाजिक सफर के दम पर यह मुकाम हासिल किया। उनकी जीत की गूंज न केवल संसद भवन में, बल्कि पूरे देश में सुनाई दे रही है।

सीपी राधाकृष्णन का यह सफर आसान नहीं रहा। तमिलनाडु के तिरुप्पुर में 20 अक्टूबर 1957 को जन्मे राधाकृष्णन का बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से गहरा नाता रहा। मात्र 16 साल की उम्र में वह आरएसएस के स्वयंसेवक बने और इसके बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ में कदम रखा। उनका यह जुड़ाव उनकी राजनीतिक विचारधारा और कार्यशैली का आधार बना। 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए राधाकृष्णन ने अपनी सादगी और जनता के प्रति समर्पण से सबका दिल जीता। वह तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष रहे और 2016 से 2020 तक कोच्चि के कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में उनके नेतृत्व में नारियल रेशा निर्यात ने 2532 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड स्तर छुआ। इसके बाद 2023 में वह झारखंड और 2024 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने। अब उपराष्ट्रपति के रूप में उनकी नई पारी देश के लिए एक नया अध्याय लिखने जा रही है।

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का यह दिन भारतीय राजनीति के लिए बेहद खास रहा। सुबह 10 बजे से शुरू हुई वोटिंग प्रक्रिया शाम 5 बजे तक चली। संसद भवन में सांसदों की लंबी कतारें और उत्साह का माहौल इस बात का सबूत था कि यह चुनाव केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र का एक जीवंत उत्सव था। कुल 781 सांसदों में से 767 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मतगणना के बाद 752 वोट वैध पाए गए, जबकि 15 वोट अवैध करार दिए गए। सीपी राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट मिले, जबकि बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। इस जीत ने एक बार फिर एनडीए की एकजुटता और रणनीतिक ताकत को साबित किया।

चुनाव से पहले ही एनडीए खेमे में जीत का भरोसा साफ दिख रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 10 बजे सबसे पहले वोट डाला और इसके बाद एनडीए सांसदों की एकजुटता ने राधाकृष्णन की जीत को और पक्का कर दिया। बीजेपी सांसदों और सहयोगी दलों ने इसे भारतीय राष्ट्रवाद की जीत करार दिया। खुद राधाकृष्णन ने वोटिंग से पहले दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्रीराम मंदिर में पूजा-अर्चना की और कहा, "यह भारतीय राष्ट्रवाद की एक बड़ी जीत होगी। हम एक हैं, हम एक रहेंगे और हम चाहते हैं कि भारत 'विकसित भारत' बने।" उनकी यह बात न केवल उनके आत्मविश्वास को दर्शाती है, बल्कि उनकी दूरदर्शिता को भी उजागर करती है।

विपक्ष ने इस चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया था। इंडिया गठबंधन ने इसे आरएसएस की विचारधारा और संविधान के मूल्यों की रक्षा के बीच की लड़ाई के रूप में पेश किया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष ने इस चुनाव में सम्मानजनक प्रदर्शन किया और उनके उम्मीदवार को 40 प्रतिशत वोट मिले, जो 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में मिले 26 प्रतिशत वोटों से कहीं बेहतर था। हालांकि, बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और शिरोमणि अकाली दल जैसे दलों के वोटिंग से दूरी बनाने के फैसले ने विपक्ष की राह को और मुश्किल कर दिया। इन तीन दलों के कुल 12 सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जिससे जीत के लिए जरूरी वोटों की संख्या 391 से घटकर 385 हो गई। इसके बावजूद, एनडीए के पास 436 सांसदों का समर्थन था, जो बहुमत से कहीं ज्यादा था।

चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की चर्चा भी जोरों पर रही। बीजेपी ने दावा किया कि 15 विपक्षी सांसदों ने उनके पक्ष में वोट किया। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा, "एनडीए की जीत को कोई शक नहीं था। हमारी एकजुटता और राधाकृष्णन के प्रति समर्थन ने यह साबित कर दिया कि हमारा गठबंधन अटूट है।" दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने स्वीकार किया कि संख्याबल एनडीए के पक्ष में था, लेकिन विपक्ष ने अपनी एकता का परिचय दिया। इंडिया गठबंधन के नेता सचिन पायलट ने भी कहा कि उनके उम्मीदवार को अच्छा समर्थन मिला, लेकिन वह एनडीए की ताकत को कम नहीं आंक रहे थे।

सीपी राधाकृष्णन की जीत की खबर जैसे ही सामने आई, देशभर में उत्साह का माहौल छा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर उन्हें बधाई देते हुए लिखा, "सी.पी. राधाकृष्णन जी को 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विजयी होने पर हार्दिक बधाई।" पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी एक पत्र लिखकर राधाकृष्णन को शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनका यह चयन देश के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, "राहुल गांधी जी, इस बार वोटिंग बैलेट पेपर पर हुई थी।" यह टिप्पणी विपक्ष के उस दावे का जवाब थी जिसमें उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर सवाल उठाए थे।

राधाकृष्णन की जीत का एक और खास पहलू यह है कि वह तमिलनाडु से तीसरे उपराष्ट्रपति होंगे। उनसे पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और आर. वेंकटरमन इस पद को सुशोभित कर चुके हैं। उनकी यह उपलब्धि तमिलनाडु के लिए गर्व का विषय है। राधाकृष्णन का व्यक्तित्व और उनकी कार्यशैली उन्हें एक जननेता बनाती है। वह न केवल एक कुशल प्रशासक हैं, बल्कि एक ऐसे नेता भी हैं जो जमीन से जुड़े हुए हैं। उनकी छवि एक समर्पित कार्यकर्ता और बुद्धिमान राजनेता की रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले राधाकृष्णन ने हमेशा अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा के साथ निभाया है।

इस जीत के साथ ही राधाकृष्णन अब राज्यसभा के सभापति की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। यह एक ऐसा पद है जो न केवल संसदीय कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की मांग करता है, बल्कि देश के संवैधानिक मूल्यों को भी मजबूत करता है। उनकी यह नई भूमिका देश के सामने कई नई संभावनाएं खोलेगी। राधाकृष्णन ने अपनी जीत के बाद कहा, "मैं देश की सेवा के लिए और भी अधिक समर्पण के साथ काम करूंगा। यह जीत मेरे लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है जो भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करना चाहते हैं।"

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की यह जीत न केवल सीपी राधाकृष्णन की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह एनडीए की एकजुटता और भारतीय जनता पार्टी की रणनीतिक ताकत का भी प्रतीक है। यह जीत उस विश्वास को दर्शाती है जो देश की जनता और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों ने एनडीए के नेतृत्व में दिखाया है। राधाकृष्णन का यह नया अध्याय न केवल तमिलनाडु, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। जैसे-जैसे वह अपने इस नए दायित्व को संभालने जा रहे हैं, देश की निगाहें उनकी हर उस पहल पर टिकी हैं जो भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

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