उत्तर प्रदेश सिपाही भर्ती परीक्षा का सफल समापन, सीएम योगी ने दी बधाई और भर्ती बोर्ड ने रचा इतिहास
उत्तर प्रदेश में हाल ही में आयोजित की गई सिपाही भर्ती परीक्षा ने प्रदेश की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा के रूप में नया इतिहास रच दिया है। उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड और डीजीपी मुख्यालय ने इस परीक्षा का सफल आयोजन कर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। परीक्षा का पांचवा और अंतिम दिन भी बिना किसी अड़चन के समाप्त हुआ, जिसमें कुल 72 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने भाग लिया।
इस भव्य आयोजन के बावजूद, परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने वाले कुछ अभ्यर्थियों को पकड़ने के लिए पुलिस और एसटीएफ की टीमें सक्रिय रहीं। कानपुर से चार अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें मैनपुरी के विपनेश कुमार, आगरा के सोनू सिंह, निहाल सिंह और मथुरा के ओमवीर शामिल थे। इसके अलावा, बिहार के अभिमन्य ओझा को ललितपुर, बुलंदशहर के वीर सिंह को सहारनपुर, बिहार के सुमित कुमार को महोबा, अलीगढ़ के सुखबीर सिंह को बुलंदशहर, प्रयागराज के छोटा निषाद को बांदा, कन्नौज के शारिक को फतेहपुर, और शामली के प्रीत सिंह व सहारनपुर के अनुज कुमार को बागपत से गिरफ्तार किया गया।
बिजनौर में, बुलंदशहर के अनिल कुमार को फर्जी दस्तावेज बनाकर परीक्षा देने के प्रयास में पकड़ा गया। इसके अलावा, एसटीएफ ने फिरोजाबाद के अखिलेश, विनय कुमार, और आगरा के अमित बघेल को आगरा से गिरफ्तार किया। प्रतापगढ़ से शुभम सोनकर और पवन कुमार पाल को भी अभ्यर्थियों से ठगी करने के आरोप में पकड़ा गया। इन सभी के खिलाफ 14 विभिन्न मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
सिपाही भर्ती परीक्षा का आयोजन 23, 24, 25, 30, और 31 अगस्त को किया गया। इस बार, बोर्ड ने पेपर लीक की आशंका को पूरी तरह से नकारते हुए परीक्षा को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संपन्न कराया। इस दौरान लगभग 30 प्रतिशत अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। बोर्ड ने पेपर लीक से बचने के लिए तकनीक का भरपूर उपयोग किया, जिससे कि परीक्षा की प्रक्रिया पर पूरी तरह से निगरानी रखी जा सके।
परीक्षा के सफल आयोजन के लिए विभिन्न सुरक्षा और निगरानी उपायों को अपनाया गया। प्रश्न पत्र की छपाई और वितरण के लिए अलग-अलग एजेंसियों को नियुक्त किया गया, और केवल सरकारी संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाया गया। पूरी परीक्षा की निगरानी सीसीटीवी कैमरों द्वारा की गई, जिन्हें भर्ती बोर्ड के कंट्रोल रूम से जोड़ा गया था। परीक्षा के पूर्व, सभी अभ्यर्थियों की आधार सत्यापन की गई और महिला अभ्यर्थियों की जांच महिला पुलिसकर्मियों द्वारा की गई।
परीक्षा केंद्र, उनके कक्ष, सभी गेट, स्ट्रांग रूम, और कॉरिडोर सभी कैमरों की जद में रहे। अभ्यर्थियों की डिजिटल फोटो कैप्चरिंग, फेशियल रिकग्निशन, बायोमैट्रिक्स (फिंगर प्रिंट और आइरिश) और शत-प्रतिशत रियल टाइम आधार सत्यापन भी किया गया। कैमरों की मॉनिटरिंग जिले के कंट्रोल रूम, कमांड सेंटर, और भर्ती बोर्ड द्वारा की गई। गोपनीय सामग्री की सुरक्षित अभिरक्षा के लिए ट्रेजरी और स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी लगाए गए, और गोपनीय सामग्री के सुरक्षित परिवहन के लिए प्रत्येक केंद्र के लिए एक डेडिकेटेड वाहन और सेक्टर मजिस्ट्रेट द्वारा सशस्त्र पुलिस कर्मियों का इंतजाम किया गया।
इस परीक्षा के सफल आयोजन में कई महत्वपूर्ण सुरक्षा बलों और पुलिस अधिकारियों की सेवाएं ली गईं। 245 कंपनियों की पीएसी, 8 कंपनियों की सीएपीएफ, 137 अपर पुलिस अधीक्षक, 522 पुलिस उपाधीक्षक, 3876 निरीक्षक, 32311 उप निरीक्षक, 47587 मुख्य आरक्षी, 86244 आरक्षी, और 74 पर्यवेक्षक पुलिस अधिकारी इस आयोजन में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस सफल आयोजन पर गर्व जताते हुए बधाई दी और परीक्षा में शामिल होने वाले सभी अभ्यर्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने परीक्षा में भाग लेने वाले सभी ऊर्जावान और अनुशासित युवाओं को मनोनुकूल परिणाम प्राप्त होने की कामना की और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
मुख्यमंत्री ने इस आयोजन के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर भर्ती बोर्ड और प्रशासन के सभी सहयोगियों को धन्यवाद भी दिया। राजीव कृष्णा, अध्यक्ष उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने भी परीक्षा के सफल संपन्न होने पर अभ्यर्थियों को धन्यवाद दिया और कहा कि बोर्ड शीघ्र ही आगे की प्रक्रिया की ओर बढ़ेगा, जिसकी सूचना अभ्यर्थियों को वेबसाइट के माध्यम से दी जाएगी।
इस परीक्षा ने प्रदेश की भर्ती प्रक्रिया में एक नया मानक स्थापित किया है और इसे विश्व की सबसे बड़ी सिविल पुलिस भर्ती परीक्षा के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। यह आयोजन राज्य की पारदर्शिता, तकनीकी दक्षता, और प्रशासनिक कुशलता का प्रमाण है। अब, सभी अभ्यर्थियों को आगे की प्रक्रिया की प्रतीक्षा है, और भर्ती बोर्ड ने पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
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