
बीजेपी का जम्मू-कश्मीर मेनिफेस्टो: रोहिंग्या और बांग्लादेशियों पर सख्त कार्रवाई का संकल्प
बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है, जिसमें पार्टी ने अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी बस्तियों को एक प्रमुख मुद्दा बनाया है। मेनिफेस्टो के अनुसार, बीजेपी जम्मू-कश्मीर में इन बस्तियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाने का संकल्प ले रही है। यह ऐलान खासकर जम्मू क्षेत्र में सियासी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, जहां हिंदुओं की जनसंख्या अधिक है और बीजेपी पहले से ही मजबूत स्थिति में है।नए परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़कर 90 हो गई है। जम्मू संभाग में अब 43 सीटें हैं, जबकि पहले यह संख्या 37 थी। कश्मीर संभाग में सीटों की संख्या बढ़कर 47 हो गई है, जो पहले 46 थी। किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 46 सीटें चाहिए होती हैं।
आंकड़ों की बात करें तो: – 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की कुल जनसंख्या 53 लाख 78 हजार 538 है। इसमें हिंदुओं की जनसंख्या 67.5 फीसदी, मुस्लिमों की 30 फीसदी, सिखों की 2 फीसदी, और ईसाई 0.3 फीसदी है। अन्य जातियों की जनसंख्या 0.2 फीसदी है।
– जम्मू संभाग में बीजेपी की पकड़ अन्य पार्टियों की तुलना में मजबूत है। 2014 के विधानसभा चुनाव में जम्मू संभाग की 37 सीटों में से बीजेपी ने 25 सीटें जीती थीं। लोकसभा चुनाव 2024 में भी जम्मू और उधमपुर सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी।
– 2024 के लोकसभा चुनाव में जम्मू क्षेत्र की 37 विधानसभा सीटों में से 29 में बीजेपी को बढ़त मिली थी, जबकि 2019 में पार्टी ने 24 सीटों पर बढ़त बनाई थी। यह संकेत करता है कि बीजेपी का जनाधार इस क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है।
जम्मू-कश्मीर गृह विभाग के अनुसार, वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में करीब 6 हजार रोहिंग्या रह रहे हैं। 2018 में जारी आंकड़ों के अनुसार, रोहिंग्याओं की संख्या 6523 थी, और अब अनुमानित रूप से यह संख्या 10 हजार के पार हो चुकी है।जम्मू की हिंदू आबादी ने लंबे समय से रोहिंग्याओं के खिलाफ आवाज उठाई है, विशेषकर सुरक्षा के मुद्दों को लेकर। बीजेपी ने इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में शामिल करके स्पष्ट किया है कि वह इस समुदाय के खिलाफ खड़ी है। इस तरह से बीजेपी ने 43 सीटों पर सियासी समीकरण सेट करने की कोशिश की है। हालांकि, इसका वास्तविक प्रभाव चुनाव परिणाम ही बताएंगे।
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