जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: राजनाथ सिंह ने PoK मुद्दे पर की बड़ी टिप्पणी
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के आयोजन की घड़ी करीब आ गई है। दस साल के लंबे अंतराल के बाद हो रहे इन चुनावों को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। कुल 90 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीन चरणों में वोटिंग होगी। इस चुनाव के साथ ही एक बार फिर से पाकिस्तान-ओकुपाइड कश्मीर (PoK) का मुद्दा सुर्खियों में आ गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की टिप्पणी
हाल ही में जम्मू के रामबन में आयोजित एक चुनावी रैली में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने PoK का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान PoK के लोगों को विदेशी मानता है, जबकि भारत उन्हें अपना मानता है। उन्होंने विश्वास जताया कि जम्मू-कश्मीर के विकास को देखकर PoK के लोग यह महसूस करेंगे कि वे पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहते, बल्कि भारत के साथ आना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा PoK के लोगों को अपना माना है और वे उन्हें अपने देश का हिस्सा मानते हैं।
पाकिस्तान का हलफनामा और PoK की स्थिति
राजनाथ सिंह की टिप्पणियों के पीछे एक पाकिस्तानी हलफनामा था जो इस्लामाबाद हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया गया था। यह हलफनामा PoK के कवि और पत्रकार अहमद फरहाद शाह के गुमशुदगी से संबंधित था। शाह 15 मई को इस्लामाबाद में अपने आवास से गायब हो गए थे और 29 मई को उन्हें PoK के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के गुज्जर कोहाला गांव से गिरफ्तार कर लिया गया।
पाकिस्तान सरकार ने शाह पर आतंकवाद के आरोप लगाए जबकि शाह की पत्नी ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की कि उनके पति का अपहरण किया गया है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जज मोहसिन अख्तर कियानी ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की आलोचना की और शाह को अदालत में पेश करने की मांग की। एडिशनल अटॉर्नी जनरल (AAG) ने तर्क दिया कि शाह को अदालत में पेश नहीं किया जा सकता क्योंकि वे PoK में पुलिस कस्टडी में हैं। AAG ने PoK को एक 'विदेशी क्षेत्र' बताते हुए कहा कि वहां की अदालतों के फैसले 'विदेशी अदालतों के फैसले' के समान माने जाते हैं।
PoK की कानूनी स्थिति
पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 257 के तहत, PoK तभी पाकिस्तान का हिस्सा होगा जब वहां के लोग ऐसा फैसला करेंगे। इसके बावजूद, PoK की स्थिति अभी भी अनसुलझी है और इसे पाकिस्तान के संविधान में शामिल नहीं किया गया है। पाकिस्तान PoK को 'आजाद कश्मीर' कहता है और वहां के लोगों के भारत के साथ एकीकरण की संभावना पर चर्चा जारी है।
PoK का भूगोल और रणनीतिक महत्व
PoK को दो प्रमुख हिस्सों में बांटा गया है: आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान। आजाद कश्मीर भारत के कश्मीर से सटा हुआ है जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान लद्दाख की सीमा से लगा हुआ है। कुल मिलाकर, PoK 90,972 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें आजाद जम्मू-कश्मीर 13,297 और गिलगित-बाल्टिस्तान 72,495 वर्ग किलोमीटर का है।रणनीतिक दृष्टिकोण से PoK अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी सीमा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, खैबर पख्तूनख्वाह, अफगानिस्तान के वखां कॉरिडोर, चीन और भारत के जम्मू-कश्मीर से लगती है।
इतिहास और अवैध कब्जा
22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने हजारों कबायलियों को कश्मीर में घुसपैठ करवा दिया। इन कबायलियों को पाकिस्तान की सेना और सरकार का समर्थन प्राप्त था। महाराजा हरि सिंह ने 27 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए और भारतीय सेना कश्मीर में उतरी। भारतीय सेना ने धीरे-धीरे पाकिस्तानी कबायलियों को पीछे धकेलना शुरू किया।भारत ने इस मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का निर्णय लिया। संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा कर लिया। इस स्थिति को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद अब भी जारी है।
संयुक्त राष्ट्र और शिमला समझौता
1948 में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव नंबर-51 के तहत, एक कमीशन का गठन किया गया था जो भारत और पाकिस्तान में जनमत संग्रह की सिफारिश करता था। 1971 की जंग के बाद 1972 में शिमला समझौता हुआ जिसमें तय हुआ कि कश्मीर विवाद पर किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं होगा और इसे केवल भारत-पाकिस्तान के बीच हल किया जाएगा।हालांकि, पाकिस्तान इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करता रहा है और संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर विवाद को उठाता रहा है, जबकि भारत स्पष्ट रूप से कह चुका है कि यह दो देशों का विवाद है और इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं होगा।
वर्तमान स्थिति और आतंकवाद
आज भी कश्मीर का मुद्दा सुलझा नहीं है। पाकिस्तान आतंकवाद के माध्यम से कश्मीर में स्थिति को जटिल बनाता रहता है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक आतंकवाद समाप्त नहीं होता, तब तक कश्मीर पर किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं की जाएगी।इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव और PoK के मुद्दे पर भारतीय और पाकिस्तानी दृष्टिकोण के बीच एक जटिल और विवादित स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए इस विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालना अनिवार्य होगा।
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