साइकोलॉजी की नज़र से कैसे यादें होते हुए भी हम काम भूल जाते हैं?


साइकोलॉजी की नज़र से कैसे यादें होते हुए भी हम काम भूल जाते हैं?

साइकोलॉजी की नज़र से कैसे यादें होते हुए भी हम काम भूल जाते हैं?

क्या आप कभी किसी कमरे में गए और भूल गए कि आप वहां क्यों गए थे, या कुछ बोलने वाले थे लेकिन अचानक महसूस किया कि आपको पता ही नहीं था कि आप क्या कहने जा रहे हैं? सामान्य तौर पर इसे भूलना कहते हैं, लेकिन ये क्यों होता है. कई बार हमें पता होता है कि हम क्या करने जा रहे हैं, लेकिन अचानक सबकुछ भूल जाते हैं. ये समस्या किसी के भी साथ हो सकती है. लोग सबकुछ याद होने के बावजूद तुरंत क्यों भूल जाते हैं? इंसान के दिमाग में ऐसा क्या चलता है जो उसे एक तरह से धोखा दे जाता है. यह सब बातें हम साइंस की नजर से जानेंगे.आमतौर पर दिमाग में एक साथ कई चीजें चलती रहती हैं. हमारा दिमाग अनगिनत इनपुट, आइडिया और एक्शन को बैलेंस करने का काम करता है. लेकिन कभी-कभी ऐसा लगता है मानो दिमाग में शॉर्ट-सर्किट लग गया है. ऐसा तब महसूस हो सकता है जब हम कुछ भूल जाते हैं. तो तब सच में क्या होता है जब हम भूल जाते हैं कि हम क्या सोच रहे थे?यह समझने के लिए कि हम क्यों भूल जाते हैं, सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि साइकोलॉजी के तहत हमारी याददाश्त कैसे काम करती है. इसके साथ ही हमें याददाश्त के बारे में कुछ भ्रमों को दूर करना होगा.



Memory Loss

याददाश्त क्या है?

याददाश्त केवल एक चीज नहीं है. याददाश्त के बहुत अलग-अलग हिस्से हैं, और वे अलग-अलग प्रोसेस से जुड़े होते हैं. याददाश्त के बारे में सबसे बड़ी गलतफहमी यह होती है कि दिमाग में कहीं एक मेमोरी फिट है, जैसे कि एक फाइल जिसे हम आसानी से हासिल कर सकते हैं. याददाश्त एक एक्टिव प्रोसेस है, जो लगातार चलने वाली कोशिश है. हर बार जब हम किसी पिछली घटना को ध्यान में लाते हैं, तो हमें उस याददाश्त को फिर से बनाने के लिए कोशिश करनी पड़ती है.कुछ गलतफहमियां यह हैं कि फोटोग्राफिक मेमोरी जैसी कोई चीज होती है, मतलब जो आपने देखा वो चीज सेव हो गई और याद रहेगी. हो सकता है कि हमें ऐसा लगे कि हमें बेतरतीब चीजें याद हैं जिन्हें हम याद करने की कोशिश नहीं कर रहे थे, लेकिन उनके याद रखने के पीछे कुछ कारण होते हैं. हम कोई गाना सुन रहे थे या हम सोच रहे थे कि कोई चीज कितनी अजीब है और उन भावनाओं या विचारों ने उस याद को मेमोरी में आने दिया.

क्या भूलना बुरा है?

बहुत से लोग सोचते हैं कि भूलना बुरा है. लेकिन भूलना इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर हर बार जब हम भविष्य के बारे में भविष्यवाणी करने या यह समझने की कोशिश कर रहे होते कि अभी क्या हो रहा है, तो हमें अपने साथ हुई हर चीज को छानना पड़ता है. इसलिए छंटाई से गुजरना पड़ता है, क्योंकि यह हमें अपने बीते कल के उन हिस्सों का इस्तेमाल करने की इजाजत देता है, जो यह समझाने के काबिल हैं कि अभी क्या हो रहा है या कल या अगले साल क्या हो सकता है.


Brain

दो तरह की याददाश्त

इस मामले में दो अलग-अलग प्रकार की याददाश्त को जानना अहम है- एक लॉन्ग-टर्म मेमोरी और दूसरी वर्किंग मेमोरी. लॉन्ग-टर्म मेमोरी याददाश्त की एक बड़ी और बहुआयामी कैटेगरी है. इसमें दिमाग में लंबे समय तक स्टोर होने वाले नॉलेज, एक्सपीरियंस और स्किल शामिल होते हैं. घंटों से लेकर पूरे जीवनकाल तक, यादों का लेखा-जोखा लॉन्ग-टर्म मेमोरी में होता है.दूसरी तरफ, वर्किंग मेमोरी में याद एक बार में केवल सेकेंड या मिनटों के लिए दिमाग में घूमती है. वर्किंग मेमोरी को अक्सर शॉर्ट-टर्म मेमोरी के तौर पर मान लिया जाता है, लेकिन कुछ थियोरिस्ट्स इन दोनों को अलग-अलग मेमोरी मानते हैं.वर्किंग मेमोरी हमारी लगातार सोच के स्केचपैड की तरह है. नई जानकारी, खुद से बातचीत और सेंसरी इनपुट की हर छोटी-बड़ी जानकारी वर्किंग मेमोरी से होकर गुजरती है, और वर्किंग मेमोरी की कुछ खास खूबियां शायद यह बताती हैं कि हम उन विचारों को क्यों भूल जाते हैं.



Multitasking Man

हम क्यों भूल जाते हैं?

पहला, वर्किंग मेमोरी की क्षमता बहुत सीमित होती है. इस बात पर कुछ बहस हुई है कि लिमिट क्या है और इसका टेस्ट कैसे किया जाए, लेकिन साइकोलॉजिस्ट्स का अनुमान है कि लोग एक समय में अपनी वर्किंग मेमोरी में जानकारी के केवल चार से सात ‘चंक’ रख सकते हैं- जैसे अक्षर, अंक, शब्द या वाक्यांश. इन सभी ‘चंक’ के बारे में एक साथ जागरूक होने के बजाय, दिमाग एक विचार से दूसरे विचार पर उछलता रहता है, जिससे इस बात की ज्यादा संभावना है कि कोई व्यक्ति उलझन में खो जाए.को लॉन्ग-टर्म मेमोरी में ट्रांसफर नहीं किया जाता (एक प्रोसेस जिसे समेकन कहा जाता है), वे जल्द ही हमारी याद से गायब हो जाती हैं.


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भूलने की सबसे बड़ी वजह

दिमाग वास्तव में मल्टीटास्किंग करने के काबिल नहीं है, इसलिए इसे अलग-अलग विचारों को ‘जॉगल’ करना पड़ता है क्योंकि हमारी वर्किंग मेमोरी अलग-अलग विचारों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है. इसके लिए कोशिश और ध्यान की जरूरत होती है, जिसकी देखरेख दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स से की जाती है, जो मुश्किल चीजें सीखने, फैसला लेने और तर्क करने से जुड़ा एरिया है. अगर ध्यान केवल उन विचारों में से किसी एक पर फोकस हो जाता है या कहीं और चला जाता है, तो दिमाग पहले के विचारों पर नजर रखना भूल जाता है.लगातार चल रही कशमकश के बीच हम इसीलिए चीजें भूल जाते हैं. दिमाग खास तौर पर तब वर्किंग मेमोरी से याद हटाने की संभावना रखता है जब वह नींद में होता है या शराब या दवा के असर की वजह से कमजोर होता है. उम्र भी एक वजह है.

Brain Memory

कब मजबूत रहती है वर्किंग मेमोरी?

एक व्यक्ति में वर्किंग मेमोरी 20 साल की उम्र पर सबसे ज्यादा एक्टिव होती है. मिडिल-एज में आते-आते वर्किंग मेमोरी की एक्टिवनेस कम होने लगती है. लेकिन जो लोग नियमित तौर पर अपने दिमाग से यादों के फिसलने से जूझते हैं, उनके लिए साइकोलॉजिस्ट्स के पास कुछ सलाह हैं.सबसे पहले इतनी सारी चीजें भूलने से रोकने के लिए मल्टीटास्किंग के खिलाफ सलाह दी जाती है. जब आपको लगता है कि आप मल्टीटास्किंग कर रहे हैं, तो आप जो कर रहे हैं, वह यह है कि आप एक साथ कई काम कर रहे हैं, और एक साथ कई काम करने से भूलने की संभावना बढ़ जाती है.

Girl Thinking

भूल जाएं तो ऐसे मिल सकती है मदद

जब हम याद होते हुए भी कुछ भूल जाते हैं, तो क्या करना चाहिए? आपको दोबारा कॉन्टेक्स्ट बनाने से मदद मिल सकती है. इसका मतलब है कि आप जिस कमरे में पहले थे, उसमें वापस जाना या अपने विचारों को फिर से याद करना कुछ मदद कर सकता है. ऐसा करने से संकेत दिमाग को बढ़ावा दे सकते हैं जिसकी उसे वर्किंग मेमोरी में कुछ सेकेंड पीछे जाने और विचार को पूरी तरह से जाने से पहले दोबारा हासिल करने की जरूरत होती है.

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