यूपीआई पर शुल्क लागू होने से उपयोगकर्ताओं का क्या होगा? सर्वेक्षण में मिले हैरान करने वाले परिणाम!


यूपीआई पर शुल्क लागू होने से उपयोगकर्ताओं का क्या होगा? सर्वेक्षण में मिले हैरान करने वाले परिणाम!


यूपीआई पर शुल्क लागू होने से उपयोगकर्ताओं का क्या होगा? सर्वेक्षण में मिले हैरान करने वाले परिणाम!

आज के डिजिटल युग में, यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने भारतीय उपभोक्ताओं के लिए भुगतान करने के तरीके में एक क्रांति ला दी है। चाय की टपरी से लेकर सब्जी की दुकान तक, यूपीआई का उपयोग अब आम हो चुका है। इस सर्विस की लोकप्रियता के पीछे दो मुख्य कारण हैं: इंटरनेट की आसान पहुंच और बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के भुगतान करने की सुविधा।

यूपीआई का उदय और विकास

यूपीआई का लॉन्च 2016 में हुआ था, और इसके बाद से इसने डिजिटल ट्रांजेक्शन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में यूपीआई लेन-देन की मात्रा में 57 प्रतिशत और मूल्य में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पहली बार यूपीआई लेन-देन की संख्या 100 अरब को पार कर गई, जो इस साल 131 अरब रही।

सर्वेक्षण के निष्कर्ष

हाल ही में लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण ने यूपीआई के प्रति उपयोगकर्ताओं की राय को स्पष्ट किया है। सर्वे के अनुसार, यदि यूपीआई पर लेनदेन शुल्क लागू किया जाता है, तो 75 प्रतिशत उपयोगकर्ता इसका उपयोग बंद कर देंगे। केवल 22 प्रतिशत उपयोगकर्ता ही शुल्क का बोझ उठाने को तैयार हैं।इस सर्वेक्षण में 308 जिलों से 42,000 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जो दिखाती हैं कि यूपीआई अब केवल एक भुगतान माध्यम नहीं, बल्कि लोगों की जरूरत बन चुका है। 38 प्रतिशत यूजर्स ने बताया कि वे अपना 50 प्रतिशत से अधिक भुगतान यूपीआई के जरिए करते हैं।

यूपीआई की मजबूती और चुनौतियाँ

यूपीआई की सफलता का एक बड़ा कारण है इसकी सादगी और उपयोग में आसानी। उपयोगकर्ता अपने स्मार्टफोन के माध्यम से किसी भी समय और कहीं भी भुगतान कर सकते हैं। इसके अलावा, यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन करते समय किसी भी तरह का अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।हालांकि, यूपीआई के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इस सेवा को बिना किसी चार्ज के संचालित कर सकती है। यूपीआई को बनाए रखने और संचालित करने के लिए सरकार को काफी खर्च करना पड़ता है। यदि भविष्य में यूपीआई पर लेनदेन शुल्क लगाया जाता है, तो यह उपयोगकर्ताओं की संख्या में गिरावट ला सकता है।

यूपीआई का भविष्य

यूजर्स की बढ़ती मांग और डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित संस्थाएँ यूपीआई को एक सुविधाजनक और निःशुल्क सेवा बनाए रखें। लोकल सर्किल्स का सर्वेक्षण इन निष्कर्षों को वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सामने पेश करेगा, ताकि यूपीआई उपयोगकर्ताओं की राय को ध्यान में रखा जा सके।यूजर्स के लिए यूपीआई का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। 37 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने बताया कि वे अपने कुल भुगतान का 50 प्रतिशत से अधिक यूपीआई के माध्यम से करते हैं। इससे स्पष्ट है कि यूपीआई अब लोगों के वित्तीय जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

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