
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: असली बनाम नकली का सियासी महासंग्राम
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 की बिसात बिछ चुकी है। इस बार चुनावी मैदान में बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए (महायुति) और कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन (महाविकास आघाड़ी) आमने-सामने हैं। लेकिन इस चुनाव की खासियत यह है कि यह केवल राजनीतिक दलों के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि असली बनाम नकली का संघर्ष भी है। शिवसेना और एनसीपी दो धड़ों में बंट गई हैं, जहां एक धड़े की कमान एकनाथ शिंदे के हाथ में है और दूसरे की बागडोर उद्धव ठाकरे के हाथ में। इसी तरह, एनसीपी भी अजीत पवार और शरद पवार के बीच विभाजित हो गई है। इस चुनाव में असली शिवसेना और असली एनसीपी बनाम नकली शिवसेना और नकली एनसीपी की लड़ाई होने जा रही है।
शिवसेना बनाम शिवसेना: चुनावी जंग
महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से एनडीए के तहत एकनाथ शिंदे की शिवसेना 82 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें से 47 सीटों पर मुकाबला उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवारों से होगा। ये सीटें प्रमुख रूप से मुंबई, कोंकण और मराठवाड़ा से हैं, जिसमें 16 सीटें मुंबई से, 18 कोंकण से और 7 मराठवाड़ा से हैं।यह चुनाव शिवसेना के बंटवारे के बाद का दूसरा चुनाव है। पिछले लोकसभा चुनाव में, शिंदे की शिवसेना ने उद्धव के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ा था और केवल एक सीट पर जीत हासिल की थी। अब जब विधानसभा चुनाव का समय आया है, सभी नजरें 47 सीटों पर टिकी हुई हैं, जहां कड़ी टक्कर की उम्मीद है।
महत्वपूर्ण सीटों की रेस
इस बार की चुनावी लड़ाई में बायकुला, माहिम, जोगेश्वरी ईस्ट, कुर्ला, विक्रोली और डिंडोशी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। विशेषकर वर्ली, जहां मिलिंद देवड़ा और आदित्य ठाकरे के बीच सीधा मुकाबला होगा। इसके अलावा, कोपरी-पचपाखड़ी जैसी हाई प्रोफाइल सीटों पर भी चुनावी दिलचस्पी बनी हुई है।हर सीट पर चुनावी रणनीति बनाने के लिए दोनों पक्षों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है। चुनाव केवल सत्ता पाने की लड़ाई नहीं है, बल्कि असली शिवसेना के अस्तित्व की भी लड़ाई है। इस लड़ाई में दोनों पक्ष अपनी-अपनी ताकत को दिखाने के लिए तैयार हैं।
एनसीपी के धड़ों के बीच की जंग
शिवसेना की तरह ही एनसीपी भी दो धड़ों में बंटी हुई है। अजीत पवार की एनसीपी और शरद पवार की एनसीपी के बीच भी असली बनाम नकली की लड़ाई चल रही है। अजीत पवार ने अपने मौजूदा 35 विधायकों को टिकट दिया है, जबकि शरद पवार ने अपने साथ खड़े रहने वाले सभी 15 विधायकों को उतारा है।राज्य की 36 विधानसभा सीटों पर अजीत और शरद पवार के सिपहसलारों के बीच टक्कर होगी। बारामती, जहां शरद पवार ने अजीत पवार के सामने उनके भतीजे योगेंद्र पवार को उतारा है, सियासी केंद्र बना हुआ है। पिछले चुनावों में, शरद पवार का पलड़ा भारी रहा था, और अजीत पवार को केवल एक सीट पर जीत हासिल हुई थी।
क्षेत्रीय समीकरण और चुनावी रणनीति
महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में सियासी समीकरण अलग-अलग हैं। ठाणे-कोंकण बेल्ट में शिवसेना बनाम शिवसेना का मुकाबला है, जबकि मुंबई और मराठवाड़ा में बीजेपी का सामना उद्धव की शिवसेना से है। विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई हो रही है, जबकि पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी और अजीत पवार की एनसीपी के खिलाफ शरद पवार की एनसीपी का मुकाबला है।हर क्षेत्र में स्थानीय मुद्दे और जातिगत समीकरण भी चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं।
मतदाताओं की भूमिका
इस बार के चुनाव में मतदाता की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। युवा वोटर्स, जो कि पहली बार वोट डालने जा रहे हैं, उनकी राय और प्राथमिकताएं चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं। शिक्षा, रोजगार, विकास और सुरक्षा जैसे मुद्दे इस बार के चुनाव में प्रमुख रहेंगे।राज्य के विभिन्न हिस्सों में विकास के मुद्दों पर मतदाता प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इसके अलावा, जातिगत और धार्मिक समीकरण भी मतदाताओं की पसंद को प्रभावित कर सकते हैं। इस चुनाव में, यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से मुद्दे मतदाताओं को सबसे अधिक आकर्षित करते हैं।
सत्ता का फैसला
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में असली बनाम नकली का यह संघर्ष तय करेगा कि कौन सा दल राज्य की सत्ता में आएगा। शिवसेना और एनसीपी के बंटवारे के साथ, यह चुनाव उन कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए भी चुनौती है, जो अपनी पार्टी के प्रति वफादार रहे हैं।अगले कुछ हफ्तों में चुनावी प्रचार और गठबंधन के समीकरण और भी स्पष्ट होंगे। इस बार का चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के बीच की लड़ाई है, बल्कि यह एक नए सियासी अध्याय की शुरुआत भी कर सकता है।
इस चुनाव के परिणाम यह तय करेंगे कि महाराष्ट्र में कौन सा दल शासन करेगा और कौन से नेता सत्ता में आएंगे। चुनाव के बाद जो तस्वीर उभर कर आएगी, वह निश्चित रूप से महाराष्ट्र की राजनीति के भविष्य को प्रभावित करेगी।इन सभी समीकरणों के बीच, महाराष्ट्र की जनता अपनी मतदाता शक्ति का उपयोग करते हुए यह तय करेगी कि असली शिवसेना और असली एनसीपी कौन है, और कौन से गठबंधन को वह सत्ता सौंपती है।यह चुनाव निश्चित रूप से एक निर्णायक मोड़ लेकर आएगा, और हर सीट पर कड़ी टक्कर की उम्मीद है। सत्ता की बिसात पर कौन बनेगा राजा, यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।
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