
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: मनोज जरांगे पाटिल के चुनाव से हटने से महायुती को होगा भारी नुकसान
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक नई सियासी हलचल मचाने वाले मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने अचानक चुनावी मैदान से कदम पीछे खींच लिया है। उनका यह कदम न केवल मराठा आंदोलन के भविष्य को लेकर सवाल खड़ा करता है, बल्कि बीजेपी और एनडीए गठबंधन के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है। विधानसभा चुनाव में अपने किसी भी उम्मीदवार को न उतारने का निर्णय लेने के बाद, जरांगे पाटिल ने यह स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य अब मराठा समाज के हितों की रक्षा करना है, न कि चुनावी राजनीति में उतरना।
मनोज जरांगे का चुनावी मैदान से हटने का कारण
मनोज जरांगे पाटिल के चुनाव से हटने के पीछे एक सख्त रणनीतिक सोच छिपी हुई है। उन्होंने कहा कि "हम किसी एक समुदाय के बल पर चुनाव नहीं लड़ सकते," और उनके मुताबिक मुस्लिम और दलित समुदाय के नेताओं से उम्मीदवारों की सूची प्राप्त नहीं हो पाई, इसलिए चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को उतारने का निर्णय नहीं लिया। उनका यह कदम मराठा समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।जरांगे ने चुनावी राजनीति से हटने का फैसला इस कारण भी लिया कि उनका चुनावी मैदान में उतरना मराठा वोटों के बिखराव का कारण बन सकता था। अगर उनके उम्मीदवार हर जगह हार जाते तो यह मराठा समाज के लिए एक शर्मिंदगी का कारण बन सकता था, और आरक्षण के मुद्दे को केवल एक राजनीतिक नारा बना दिया जाता।
बीजेपी के लिए सियासी झटका
मनोज जरांगे पाटिल का चुनाव से हटना बीजेपी के लिए एक बड़ा सियासी झटका साबित हो सकता है, विशेषकर महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में, जहां उनका खासा प्रभाव है। 2024 लोकसभा चुनाव में मराठवाड़ा बेल्ट में बीजेपी को सबसे बड़ा नुकसान हुआ था, और मनोज जरांगे की अगुआई में मराठा समुदाय के विरोध के चलते एनडीए को 8 लोकसभा सीटों में से 7 सीटें हारनी पड़ी थीं।वहीं, बीजेपी की स्थिति पश्चिम महाराष्ट्र और विदर्भ में भी कमजोर हुई थी। इसलिए मनोज जरांगे के चुनावी मैदान से हटने से यह संभावना जताई जा रही है कि मराठा समुदाय एकजुट होकर महाविकास आघाड़ी के पक्ष में मतदान कर सकता है, जिससे एनडीए को नुकसान होगा।
शरद पवार का बयान
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मनोज जरांगे पाटिल के चुनाव से हटने के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अगर जरांगे पाटिल ने चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार उतारे होते, तो उसका सीधा फायदा बीजेपी को होता। शरद पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि महाविकास आघाड़ी का जरांगे के चुनाव से हटने से कोई संबंध नहीं है, लेकिन उनके इस निर्णय से महाविकास आघाड़ी को फायदा होने की संभावना है।
मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में असर
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में मनोज जरांगे पाटिल का खासा प्रभाव है। इन क्षेत्रों में मराठा समुदाय एक निर्णायक भूमिका निभाता है, और अगर वह एकजुट हो जाते हैं तो चुनाव परिणामों पर गहरा असर डाल सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में, मराठवाड़ा में बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर था, लेकिन पश्चिम महाराष्ट्र में एनसीपी ने शानदार जीत दर्ज की थी।मनोज जरांगे पाटिल के चुनावी मैदान से हटने के बाद, यह संभावना जताई जा रही है कि मराठा समुदाय महाविकास आघाड़ी के पक्ष में खड़ा हो सकता है, जो बीजेपी और शिंदे के गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। इस बदलाव से महाविकास आघाड़ी को मराठा और अन्य पिछड़े वर्गों का समर्थन मिल सकता है, जो बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
मुस्लिम और दलित समुदाय का समर्थन
लोकसभा चुनाव में मराठा समुदाय के साथ-साथ मुस्लिम और दलित समुदाय ने महाविकास आघाड़ी का समर्थन किया था। बीजेपी नेताओं की मुस्लिम विरोधी बयानबाजी और संविधान संशोधन के प्रचार की वजह से इन समुदायों ने महाविकास आघाड़ी का समर्थन किया। अगर इस बार भी वही पैटर्न रिपीट होता है, तो मनोज जरांगे पाटिल के चुनावी मैदान से हटने से महाविकास आघाड़ी को फायदा हो सकता है। इससे बीजेपी को मराठा समुदाय के साथ-साथ अन्य दलित और मुस्लिम वोटों का भी नुकसान हो सकता है।
चुनावी रणनीति और संभावनाएँ
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार की सियासी लड़ाई महायुति और महाविकास आघाड़ी के बीच होगी। इस बीच, मनोज जरांगे पाटिल का चुनावी मैदान से हटने का निर्णय बीजेपी और शिंदे के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। बीजेपी और एनडीए गठबंधन के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि मराठा समुदाय और अन्य समर्थक एकजुट होकर महाविकास आघाड़ी के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।इसके अलावा, मनोज जरांगे पाटिल के चुनावी मैदान से हटने से यह संकेत मिलते हैं कि महाराष्ट्र में जातीय समीकरण और सामाजिक मुद्दे ही चुनावी परिणामों को प्रभावित करेंगे। ऐसे में सियासी विश्लेषक मानते हैं कि आगामी चुनाव में मराठा समुदाय का समर्थन महाविकास आघाड़ी के लिए एक अहम भूमिका निभा सकता है।
मनोज जरांगे पाटिल का चुनावी मैदान से हटने का फैसला महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। इससे महाविकास आघाड़ी को निश्चित रूप से फायदा हो सकता है, जबकि बीजेपी और एनडीए को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अब यह देखना होगा कि आगामी चुनावों में मराठा समुदाय किस पार्टी का समर्थन करता है, और इससे महाराष्ट्र के राजनीतिक भविष्य पर क्या असर पड़ता है।
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