उद्धव ठाकरे की चुनावी रणनीति: शिंदे के खिलाफ कोंकण से लेकर विदर्भ तक हुंकार

 

शिंदे गैंग से हिसाब बराबर करने उतरेंगे उद्धव ठाकरे, विदर्भ से कोंकण तक को साधने का है प्लान

उद्धव ठाकरे की चुनावी रणनीति: शिंदे के खिलाफ कोंकण से लेकर विदर्भ तक हुंकार

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में अब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने चुनावी अभियान का बिगुल बजा दिया है। उद्धव ने अपने सियासी प्रतिद्वंद्वी और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ अभियान की शुरुआत कोंकण क्षेत्र से की है, जहां से कई महत्वपूर्ण सीटें उनके और शिंदे दोनों के लिए सियासी ताकत का केंद्र रही हैं। 5 नवंबर से शुरू हुए अपने चुनाव प्रचार में उद्धव ठाकरे ने न केवल शिवसेना के पुराने गढ़ों को पुनः अपने पक्ष में करने की रणनीति बनाई है, बल्कि वह शिंदे के खिलाफ सीधे चुनौती देने के लिए मैदान में उतर चुके हैं।

उद्धव की चुनावी रणनीति: कोंकण से विदर्भ तक

उद्धव ठाकरे ने अपना चुनाव प्रचार अभियान कोल्हापुर के अम्बाबाई मंदिर में दर्शन के साथ शुरू किया। इस शुरुआत के साथ उनका मुख्य उद्देश्य कोंकण और विदर्भ क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर पकड़ मजबूत करना है। कोंकण क्षेत्र में शिवसेना का ऐतिहासिक दबदबा रहा है, लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के एक धड़े के बीजेपी में शामिल होने के बाद यहां सियासी माहौल बदल गया। उद्धव अब इस इलाके में अपनी पार्टी की स्थिति को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने कोंकण की रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की है। रत्नागिरी सीट से विधायक और राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने 2022 में शिंदे के साथ बगावत की थी। उद्धव ठाकरे ने इस सीट पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार राजन साल्वी को समर्थन देने के लिए रैली की। उद्धव की रणनीति स्पष्ट है वह शिंदे और उनके समर्थकों को सीधी चुनौती देने के लिए कोंकण में सशक्त प्रचार कर रहे हैं।

शिंदे के गढ़ में उद्धव की चुनौती

उद्धव ठाकरे ने अपनी अगली चुनावी जनसभा 6 नवंबर को ठाणे जिले के भिवंडी में आयोजित करने का निर्णय लिया है। भिवंडी, शिंदे का गृहक्षेत्र है, और यहां से शिंदे के खिलाफ बगावत करने वाले शांताराम मोरे शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उद्धव ठाकरे का लक्ष्य शिंदे के गढ़ में घुसकर उनका सियासी खेल बिगाड़ना है।इसके अलावा, 7 नवंबर को उद्धव ठाकरे दरियापुर और बडनेरा विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी प्रचार करेंगे। दरियापुर सीट से शिंदे के गुट के नेता आनंद अडसुल के बेटे अभिजीत अडसुल चुनावी मैदान में हैं, जबकि बडनेरा से उद्धव गुट के उम्मीदवार सुनील खराटे चुनाव लड़ रहे हैं। इन इलाकों में प्रचार करते हुए उद्धव ठाकरे ने शिंदे गुट को सीधी चुनौती दी है।

उद्धव ठाकरे का मिशन-महाराष्ट्र

उद्धव ठाकरे का "मिशन-महाराष्ट्र" का फोकस कोंकण से लेकर विदर्भ तक का क्षेत्र है। कोंकण, विदर्भ, और पश्चिम महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में शिवसेना (यूबीटी) का जनाधार मजबूत रहा है, लेकिन शिंदे के साथ बगावत के बाद उद्धव के सामने इस जनाधार को बनाए रखने की चुनौती है। इस चुनौती को देखते हुए उद्धव ठाकरे ने 5 नवंबर से 17 नवंबर के बीच कुल 25 चुनावी जनसभाओं की योजना बनाई है। उनके चुनाव प्रचार का मुख्य उद्देश्य शिंदे के खिलाफ बगावत करने वाले शिवसेना विधायकों के खिलाफ चुनावी माहौल को तैयार करना है।उद्धव ठाकरे 8 नवंबर को विदर्भ क्षेत्र के बुलढाणा और मेहकर क्षेत्रों में भी प्रचार करेंगे, जहां से शिंदे के बागी विधायकों संजय गायकवाड़ और संजय रायमुलकर चुनावी मैदान में हैं। इस तरह उद्धव ठाकरे शिंदे के गुट के हर विधायक को चुनावी मुकाबले में लाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

कोंकण और विदर्भ में कड़ी टक्कर

कोंकण क्षेत्र, जिसमें रायगढ़ और रत्नागिरी जैसे बड़े जिले आते हैं, में 39 विधानसभा सीटें हैं। यह इलाका शिवसेना का पुराना गढ़ रहा है, लेकिन शिंदे के अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे को अपनी सियासी ताकत को फिर से स्थापित करने की जरूरत है। इसके अलावा विदर्भ क्षेत्र में भी उद्धव ठाकरे ने बीजेपी और कांग्रेस के साथ मुकाबला करने की रणनीति बनाई है। विदर्भ क्षेत्र के कई इलाकों में प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता है, और उद्धव ठाकरे इस क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कई रैलियों और जनसभाओं को संबोधित करने जा रहे हैं।

शिवसेना बनाम शिवसेना: निर्णायक लड़ाई

2024 विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) और शिंदे की शिवसेना के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। एनडीए गठबंधन के तहत एकनाथ शिंदे की शिवसेना 82 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) 93 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है। इनमें से 47 सीटों पर शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई होगी। मुंबई, कोंकण, मराठवाड़ा, और विदर्भ जैसे प्रमुख इलाकों में यह मुकाबला बेहद कड़ा होगा, और यह चुनाव तय करेगा कि असली शिवसेना कौन है।

अंतिम मुकाबला

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में यह लड़ाई सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि अस्तित्व की लड़ाई भी होगी। उद्धव ठाकरे ने पहले ही शिंदे को चुनौती देते हुए कोंकण से विदर्भ तक चुनावी अभियान का आगाज किया है। कड़ी टक्कर और उथल-पुथल के बीच, यह तय करना होगा कि कौन शिवसेना की असली पहचान बनाए रखेगा। उद्धव ठाकरे ने पहले ही शिंदे गुट के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है, और देखना यह है कि कौन किसे मात देता है  "शिवसेना बनाम शिवसेना" की यह निर्णायक लड़ाई सियासी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।

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