कांग्रेस की नई रणनीति मिल्कीपुर उपचुनाव को किया दरकिनार 2027 की तैयारी में जुटी

 

2027 की तैयारी में कांग्रेस, मिल्कीपुर उपचुनाव से भी किया खुद को दूर

कांग्रेस की नई रणनीति मिल्कीपुर उपचुनाव को किया दरकिनार 2027 की तैयारी में जुटी

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव की तारीख की घोषणा के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। 5 फरवरी को होने वाले मतदान और 8 फरवरी को घोषित होने वाले नतीजों से पहले कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ा निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने यह ऐलान किया कि उनकी पार्टी मिल्कीपुर उपचुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। यह निर्णय कांग्रेस की रणनीतिक दिशा को स्पष्ट करता है, जहां पार्टी संगठन को मजबूती देने और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी पर अधिक ध्यान दे रही है।अजय राय ने इस बारे में अपने बयान में कहा, “हमने पिछले कई उपचुनावों में हिस्सा नहीं लिया है, और मिल्कीपुर में भी हम नहीं लड़ेंगे। हमारी प्राथमिकता संगठन को मजबूत करना है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक सशक्त विपक्ष के रूप में उभर सके।” उनके इस फैसले से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस पार्टी का मुख्य उद्देश्य अब 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी पर केंद्रित है।साथ ही, अजय राय ने यह भी संकेत दिया कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन करेगी। उनका कहना था, “चूंकि हम चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, यह स्वाभाविक है कि हम जिस पार्टी को समर्थन देंगे, उसे हमारी पूरी मदद मिलेगी।

उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती पर तंज करते हुए कहा, “मायावती अकेले ही चुनाव मैदान में हैं और उन्हें कोई सहयोग नहीं मिलने वाला है।”इस बीच, मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी और सपा के बीच तीव्र मुकाबला होने की संभावना है। बीजेपी की नजर अयोध्या जिले में अपनी स्थिति मजबूत करने पर है, जबकि सपा के लिए यह सीट अहम है, जिसे वे अपना गढ़ मानते हैं। सपा ने उम्मीदवार के तौर पर फैजाबाद सीट से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उतारा है। वहीं, बीजेपी ने अभी तक अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है।सपा की जीत की संभावना को देखते हुए बीजेपी और सपा दोनों पार्टी अपनी पूरी ताकत इस चुनाव में झोंकने के लिए तैयार हैं। मिल्कीपुर सीट पर 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने 1 लाख 3 हजार 905 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थी।यह उपचुनाव राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हो गया है, और सभी नजरें अब इसके परिणामों पर टिकी हुई हैं।

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